भारतीय मूल की वैज्ञानिक ने किया इस बात का दावा, पढ़े

वैज्ञानिकों ने फेफड़ों के बाहर कोविड-19 के प्रभावों की पहली गहन समीक्षा उपलब्ध कराई है. साथ ही अनुशंसा की है कि फिजिशियन इसका उपचार शरीर के विभिन्न तंत्रों को प्रभावित करने वाली बीमारी के तौर पर करें,

जिनमें खून के थक्के जमना, किडनी का कार्य न करना व बेहोशी जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण शामिल हैं. यह समीक्षा अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में किया गया है.
अध्ययन दल में भारतीय मूल की वैज्ञानिक भी शामिल हैं. अध्ययन की सह लेखिका आकृति गुप्ता ने कहा, मैं आरंभ से ही अग्रिम मोर्चे पर थी. मैंने पाया कि मरीजों में खून के थक्के बेहद जम रहे हैं, उन्हें मधुमेह नहीं होने के बावजूद उनके खून में शुगर की मात्रा बेहद दिख रही थी व कई के दिल व गुर्दे को नुकसान हो रहा था.
अन्य बीमारियों का उपचार भी महत्वपूर्ण : नेचर मेडिसिन पत्रिका में छपे अध्ययनों की समीक्षा के मुताबिक, कोविड-19 के कई रोगियों को गुर्दा, दिल व मस्तिक संबंधी समस्या होती है. अनुसंधानकर्ताओं ने अनुशंसा की है कि डॉक्टर श्वसन बीमारी के साथ ही इन स्थितियों का भी उपचार करें. गुप्ता ने कहा, डॉक्टरों को कोविड-19 को बहुत से अंगों को प्रभावित करने वाली बीमारी के रूप में देखने की आवश्यकता है.
थक्के जमने से दिल के दौरे का खतरा : अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक ज्यादातर अध्ययनों में गैर श्वसन संबंधी एक बड़ी समस्या खून के थक्के जमना है व खून के थक्के जमने से दिल का दौरा पड़ सकता है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के कार्तिक सहगल ने कहा, हमें उम्मीद है कि भविष्य में इससे कोविड-19 के प्रभावी उपचार में ज्यादा मदद मिल सकेगी.
50 प्रतिशत रोगियों की किडनी फेल : वैज्ञानिकों के मुताबिक आश्चर्यजनक निष्कर्ष यह पता चला कि आईसीयू में भर्ती कोविड-19 के मरीजों में किडनी क्षतिग्रस्त होने की समस्या ज्यादा अनुपात में है. उन्होंने बताया कि अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में आईसीयू में भर्ती करीब 50 प्रतिशत रोगियों के किडनी फेल होने की समस्या थी. गुप्ता ने कहा, करीब पांच से दस प्रतिशत रोगियों को डायलिसिस की आवश्यकता है. यह बहुत ज्यादा ज्यादा संख्या है.

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