नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin pilot) आज कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम सकते हैं।
एक दिन पहले ही एक तरफ जहां सचिन पायलट (Sachin pilot) के द्वारा कहा गया कि उनके साथ कांग्रेस के तीन और कुछ निर्दलीय विधायक हैं तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok gehlot) के खेमे की तरफ से इसके उलट दावा किया गया है कि गहलोत के साथ 115 विधायक हैं।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अभी भी चुप्पी साधी हुई है। आश्चर्यजनक रूप से भाजपा की तरफ से कोई भी इस मामले में खुलकर नहीं बोल रहा है, जबकि माना जा रहा है कि एनसीआर (NCR) और दिल्ली में स्थित कुछ होटलों में कांग्रेस और निर्दलीय विधायक (MLA) ठहरे हुए हैं जो भाजपा के संपर्क में हैं।
अगर सचिन पायलट के मुताबिक ठीक रहा और कांग्रेस के 30 विधायक सरकार को छोड़ कर चले जाते हैं, तो अशोक गहलोत सरकार के पास 77 विधायक होंगे और ऐसी स्थिति में राज्यपाल कलराज मिश्र की भूमिका बेहद अहम हो जाती है।
ऐसी स्थिति में अशोक गहलोत के द्वारा संबंधित सभी 30 विधायकों के निष्कासन के लिए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से आग्रह किया जा सकता है। यदि सीपी जोशी ने सख्त रवैया अपनाया तो 30 विधायकों का विधानसभा से निष्कासन हो सकता है।
राजस्थान की राजनीति में वर्तमान में लगभग वही हालात हैं, जो कोरोनावायरस की वैश्विक महामारी शुरू होने से पहले फरवरी-मार्च के दौरान मध्यप्रदेश में थे। वहां पर सिंधिया द्वारा अपने विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के फैसले से कमलनाथ सरकार गिर गई थी।
दूसरी तरफ बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अगर राजस्थान की कांग्रेस सरकार गिर जाती है तो फिर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा क्या? भाजपा अविश्वसनीय परफॉर्मेंस देने वाले अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया को मुख्यमंत्री बनाएगी या फिर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को वापस सत्ता सौंपी जाएगी?