रिमझिम मेघा बरसे शीतल मंद समीर मन पंछी कल्लोल करे नयन काहे होत अधीर ।
काहे होत अधीर नयन चले जमुना जी के तीर मुरली बजावत मधुर धुन सलोने यशोदा के वीर ।
यशोदा के वीर सलोने घनश्याम बन मेह बरसे मन मयूर नाचे अलबेले बूँदों संग करें अठखेले ।
बूँदों संग करें अठखेले सखी, डाल पर पड़े झूले पेंग प्रेम रस बढ़ाएँ आओ, वर्षा संग झूमें।
आओ, वर्षा संग झूमें तप्त धरा देखो हर्षे प्रियतम मेघ नेह बरसे हरित रोम-रोम उमंगे।