Eye Diseases कोरोना संक्रमण के कारण अभी ऑनलाइन क्लासेज और वेबिनार जारी हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि लोगों का काफी समय स्क्रीन के सामने बीत रहा है। लगातार स्क्रीन के सामने बैठना, खानपान में पोषक तत्वों का अभाव आंखों की कई तरह की बीमारी का कारण बनता है साथ ही बारिश के मौसम में आंखों की बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसमें आंखों में जलन, चुभन, दर्द, लालिमा सरीखे लक्षणों को नजरअंदाज करने की भूल मत कीजिए। ऐसे में आंखों की नमी बरकरार रखकर इस तरह की समस्याओं से बचा जा सकता है। जानें क्या कहते है कानपुर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक गहलोत।
मोबाइल, कंप्यूटर और टीवी का अधिक इस्तेमाल इन परेशानियों की मुख्य वजह है और काफी संभावना है कि यह ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षण हों। उम्र बढ़ने के साथ ही इसके होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके अलावा कुछ खास तरह की बीमारियों जैसे मधुमेह, विटामिन-ए की कमी, थायरॉयड का असंतुलन, र्यूमेटॉयड अर्थराइटिस, ल्यूपस, स्कलेरोडर्मा और स्जॉर्गेन सिंड्रोम से ग्रसित लोगों को भी ये समस्या हो सकती है।
लक्षण और परेशानी: इस दौरान आंखों में जलन व खुजली के साथ दर्द होता है। कई बार महसूस होता है कि आंख में कीड़ा या तिनका चला गया है। इस कारण आंखों में थकान व भारीपन रहता है जिससे सिर दर्द और मरीज की आंखों में लालिमा के साथ सूजन होती है। कई बार इन सभी लक्षणों के विपरीत आंसुओं का आवश्यकता से अधिक बनना भी इस बीमारी के लक्षण हैं। आंखों में किरकिराहट के चलते मस्तिष्क तक यह संकेत पहुंच जाता है कि आंख में कुछ चला गया है। जिससे आंख से ज्यादा आंसू आने लगते हैं। सूखेपन को दूर करने के लिए आंसू ज्यादा बनते तो हैं लेकिन आंखों में लंबे समय तक टिक नहीं पाते। इससे आंखें सूखी ही बनी रहती हैं। इसको रिफ्लेक्स टियरिंग भी कहते हैं।
हो सकती हैं अन्य वजहें: ड्राई आई सिंड्रोम होने की कई वजहें हैं। आंखों में होने वाली छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान न देना इसका कारण हो सकता है। इनमें कुछ बीमारियों के अलावा कुछ दवाओं का सेवन भी इसका कारण बनता है। एलर्जी, सर्दी, खांसी, अवसाद, मुंहासे, गर्भनिरोधक और रक्तचाप से जुड़ी दवाओं का लगातार सेवन करना भी इस समस्या का कारण हो सकता है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाने वालों को भी अक्सर इस बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।