8 पुलिसकर्मियों के हत्यारे गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार सुबह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान बर्रा इलाके में एसटीएफ की गाड़ी पलट गई जिसमें दुबे भी मौजूद थे। पुलिस का कहना है कि दुर्घटना का फायदा उठाकर विकास दुबे ने एक पुलिसकर्मी से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और मारा गया। हालांकि, पुलिस की इस थ्योरी पर कई सवाल भी उठ रहे हैं, जिनके जवाब अभी बाकी हैं।
सवाल 1:पहला सवाल यह है कि आखिरकार काफिले की वही गाड़ी अचानक कैसे पलटी जिसमें विकास मौजूद था। अगर यह संयोग मान लिया जाए तो बहुत बड़ा सवाल यह है कि जब इतने बड़े अपराधी को पुलिस की गाड़ी में ला रही थी तो उसके हाथ खुले क्यों थे? क्या उसे हथकड़ी नहीं लगाई गई थी?
प्रश्न 2:एक दिन पहले जिस तरह से विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उसने खुद मंदिर परिसर में कुछ लोगों को अपनी पहचान बताई थी। यदि वह गिरफ्तारी के लिए तैयार नहीं था तो एक उच्च सिक्यॉरिटी जोन में क्यों गया? यदि कल गिरफ्तारी के लिए तैयार था तो आज उसने दौड़ की कोशिश क्यों की?
प्रश्न 3: गुरुवार को प्रभात और शुक्रवार को विकास दुबे, इन दोनों का जिस तरह दो दिन में एनकाउंटर हुआ और पूरे विवरण को देखें तो यह सवाल जरूर उठता है कि यह क्या संयोग है? प्रभात के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने इसी तरह का विवरण बताया था कि पहले पुलिस की गाड़ी पंक्चर हुई फिर प्रभात पुलिसकर्मियों से पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश करने लगी और फिर एनकाउंटर में मारा गया। आज भी सबकुछ ठीक उसी तरह से हुआ है।
प्रश्न 4:दो दिन में दो बार अपराधी पुलिसकर्मियों से हथियार छीन लेते हैं। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि पुलिसकर्मियों ने अपनी हथियार रखने में लापरवाही बरती जो उनके गिरफ्त में मौजूद कोई बदमाश हथियार छीन लेता है।
प्रश्न 5: मीडियाकर्मियों का दावा है कि वे भी उस काफिले के साथ हीजैन से आ रहे थे, लेकिन दुर्घटना स्थल से कुछ पहले मीडिया और सड़क पर चल रही निजी गाड़ियों को रोक दिया गया था। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी इसका फुटेज जारी किया है। आखिर क्यों मीडिया को आगे बढ़ने से कुछ देर के लिए रोक दिया गया था? अगर विकास ने दौड़ की कोशिश की तो उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई? इस तरह के और भी कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका अभी तक पुलिस को जवाब देना होगा।