हमारी आंखों ने हमे यह रंगीन दुनिया देखने की ताकत दी है । लेकिन कुछ ऐसे रोग हैं जो आँखों से उनकी यह क्षमता छीन सकते हैं | मोतियाबिंद (Motiabind) आँखों का ऐसा ही रोग होता है | यह इतना घातक रोग होता है कि समय पर इसका इलाज नहीं करने पर व्यक्ति हमेशा के लिये अंधा हो सकता है | लेकिन आज हम आपको आंखों के इस घातक रोग मोतियाबिंद के बारे में बताने जा रहे हैं । आगे बढ़ने से पहले यदि आपने अभी तक हमे फ़ॉलो नही है अभी फ़ॉलो बटन पर क्लिक कर हमें फ़ॉलो कर लेवें ताकि आप रोजाना ऐसी चटपटी और ज्ञानवर्धक पोस्ट पाते रहे।
मोतियाबिंद वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 40 वर्ष की उम्र के बाद यह अधिक होता है | भारत में 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में 75 % लोग मोतियाबिंद के शिकार हैं | इनमें महिलायें ज्यादा हैं |
मोतियाबिंद के कारण
मोतियाबिंद सामान्यतः एकदम से नहीं आता | यह धीरे धीरे विकसित होता है | इसके लिए जिम्मेदार कुछ कारन इस प्रकार हैं :
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1 अधिक उम्र होना : उम्र बढ़ने पर कुछ प्रोटीन आँखों के लेंस पर गुच्छे बनाते हैं, जिस कारण लेंस ढक जाता है और व्यक्ति को धुंधला दिखाई देने लगता है जो की समय के साथ बढ़ता जाता है |
2 डायबिटीज : डायबिटीज अर्थात मधुमेह से ग्रस्त लोगों को मोतियाबिंद होने का खतरा अधिक होता है |
3 किसी कारणवश आँखों पर चोट लगना |
4 अधिक नशा करने, शराब पीने और धूम्रपान करने वाले लोगों में मोतियाबिंद की संभावना अधिक होती है |
मोतियाबिंद का इलाज घरेलु नुस्खों द्वारा
गौमूत्र : देशी गाय की बछिया का गौमूत्र लेकर उसे साफ सूती कपडे को आठ परत करके उससे छाने | अब इस गौमूत्र को दिन में दो बार आँखों में एक एक बूंद टपकाने से मोतियाबिंद की परत धीरे धीरे कटकर कुछ ही दिनों में बाहर निकल जाती है | यह रामबाण नुस्खा है |
लहसुन : रात में कुछ लहसुन की कलियाँ पानी में भिगो दें | सुबह भूखे पेट इन कलियों को खायें और पानी पियें | इससे मोतियाबिंद में लाभ होगा |