व्यक्ति जो कुछ भी खाता है उसे पचाने के बाद उसमें से पोषक तत्त्वों को सारे शरीर में पहुंचाने का कार्य लिवर करता है. यह अंग शरीर से विषैले तत्त्वों को बाहर निकालता है.
साथ ही यहां ऐसे पदार्थ उपस्थित हैं जो शरीर में एल्बुमिन, प्रोटीन और खून का थक्का बनाने वाले तत्त्वों के निर्माण में सहायक हैं. लिवर के बिना शरीर में रक्त का संचार संभव नहीं. मेडिकली इसे शरीर का क्षमता हाउस कहते हैं.
इन्हें रोग का खतरा -शराब पीने व धूम्रपान करने वालों को इस रोग की संभावना अधिक होती है. टाइप-2 डायबिटीज से पीडि़त मरीज, जिनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो, 50 साल से अधिक आयु के लोग व ज्यादा मात्रा में तलाभुना खाने वालों में इसका खतरा रहता है.
कारण : जिनका वजन अधिक है उनकी कठिनाई बढ़ सकती है. शराब पीने वाले या जिनकी कैंसर की दवा लंबे समय से चल रही है उन्हें मेटाबॉलिक सिंड्रोम की शिकायत हो सकती है. इस कारण शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है जिससे मधुमेह, दिल रोग और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं.
इलाज : कारण के आधार पर इलाज तय होता है. संतुलित और पौष्टिक आहार लें. हल्के भोजन के साथ सलाद खाएं. विटामिन- ई और सी युक्त चीजों से लिवर स्वस्थ रहता है. प्रो-बायोटिक्स (हैल्दी बैक्टीरिया) जो दही में उपस्थित होते हैं, को दवा के रूप में लें. जन्म के समय से ही बच्चे को हेपेटाइटिस का टीका लगवाएं.
आयुर्वेदिक उपचार- लिवर को फिट रखने के लिए सुपाच्य भोजन खाएं. तरल पदार्थ जैसे नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी, अनार, सेब समेत अन्य फलों को खाने से पेट अच्छा रहता है. चोकर वाली रोटी खाएं. गिलोय, एलोवेरा, कालमेघ, चिरायता, भृंगराज, करेले का जूस, आंवले का पाउडर नियमित लेने से पेट संबंधी कोई समस्या नहीं रहती. गंभीर स्थिति में चूर्ण खिलाकर पेट की सफाई की जाती है.
होम्योपैथी दवा- रोगी को लक्षणों के अनुसार फॉस्फोरस, कैलकेरिया दवा देते हैं. जिन्हें फैटी लिवर की समस्या अधिक शराब पीने से हुई है उन्हें नक्सवोमिका दवा दी जाती है. वहीं फैटी लिवर के साथ गैस की परेशानी हो तो लाइकोपोडियम दवा से आराम पहुंचाते हैं. फैटी लिवर के रोगी को खानपान पर विशेष ध्यान देने के साथ नियमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है.
ये हो सकते हैं लक्षण - लिवर में फैट बढऩे से अंग का आकार बढ़ जाता है. इस कारण एंजाइम्स की मात्रा बढऩे से लिवर की क्षमता प्रभावित होती है. आमतौर पर फैटी लिवर के कोई खास लक्षण नहीं. लेकिन जब 30-40 प्रतिशत फैट लिवर में जमा हो जाए तो भूख न लगना, जी-घबराना, वजन घटना, पेट के ऊपरी भाग में दर्द होता है. गंभीर मामलों में आदमी में पीलिया, लिवर में सिकुडऩ और लिवर सिरोसिस की संभावना बढ़ती है. ज्यादा फैट जमा होने पर पेट में पानी भरने के साथ शरीर में सूजन आती है जिसका प्रभाव दिमाग पर होता है. गंभीर स्थिति लिवर फेल्योर की होती है. जिसमें लिवर ट्रांसप्लांट करते हैं.
10 वां बड़ा कारण हिंदुस्तान में रोगों से होने वाली मौत का लिवर प्रॉब्लम है. 3% रोगियों को ही मिल पाता है ब्रेन डेड मरीज का लिवर. 05 में से एक आदमी को देश में लिवर संबंधी समस्या है.