हमारे बच्चों में सोशल नेटवर्किंग, गैजेट्स व तकनीक (Screen timing) के लिए बढ़ती दीवानगी ने पैरेंट्स (Kids Parenting) को डरा दिया है. भय इस बात का कि कहीं हमारे बच्चे इस वर्चुअल संसार में इतना न खो जाएं कि वो असली जिंदगी के प्रयत्न व परेशानियों का सामना ही न कर पाएं. ...
यहां बोलना उचित होगा कि हमारी पीढ़ी के टीनएजर्स व युवाओं को यह समझना होगा कि तकनीक से उत्पन्न लतों पर नियंत्रण रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अच्छी डिजिटल सिटीजनशिप को बढ़ावा देना. इन 7 उपायों से बनेगी बात-
01. अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें (Encourage Your Kids) तकनीक व गैजेट्स की लत से अपने बच्चों को बाहर लाने के लिए पहला कदम है कि अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें. अक्सर देखा गया है कि किसी भी तरह के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए आदमी का स्व:प्रेरित होना बेहद महत्वपूर्ण है. इस दौरान उन्हें रोक-टोक कर हताश न करें बल्कि इसे अनदेखा करें. आंतरिक प्रेरणा से बदलाव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. एटीट्यूड व एप्रोच ऐसे में दो जरूरी टूल होते हैं.
02. कार्य का विभाजन करें (Divide Task) स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (Stanford University) के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में पाया कि डिजिटल माध्यमों जैसे इंटरनेट व सोशल नेटवर्किंग (Social Networking) पर एक साथ दर्जनों सूचनाओं का आदान-प्रदान करने वाले युवा जरूरी जानकारियों को याद नहीं रख पाए. उन्हें इन सूचनाओं के कुछ प्रमुख अंश ही याद थे वहीं कइयों ने तो इसे बंद ही कर दिया. जबकि एक बार में एक ही कार्य को हाथ में लेने वालों की एकाग्रता व सीखने की क्षमता कहीं ज्यादा थी. इसलिए अपने बच्चों को कामों का विभाजन कर एक बार में एक कार्य करने के लिए प्रेरित करें. इससे उन्हें अपना कार्य अधिक तेज़ी से करने में मदद मिलती है.
03. कार्य की यह तकनीक अपनाएं (Use Pomodoro Technique) इस तकनीक को 'पोमोदोरो' कहते हैं जिसमें 25 मिनट किसी एक कार्य पर ध्यान केंद्रित किया जाता है व 5 मिनट का ब्रेक लिया जाता है. इस पांच मिनट के ब्रेक से विद्यार्थियों को मल्टी-टास्किंग से मोनो-टास्किंग के लिए अपने ध्यान को केंद्रित करने में सरलता होती है. इससे समय के साथ विद्यार्थियों को बिना किसी कठिनाई के 35 से 40 मिनट के लिए कार्य करने को तैयार कर सकते हैं.
04. मनोरंजनात्मक ढंग से करें ध्यान केंद्रित (Make Task Entertaining) कई बार ध्यान केंद्रित करने के चक्कर में हम इतना ज्यादा नीरस हो जाते हैं कि हमारी एकाग्रता ही खत्म हो जाती है. इसके लिए महत्वपूर्ण है कि हम इसे अधिक मनोरंजक व हल्का रखें. कार्य के समय अपना सेल फोन बंद रखने व उसे बार-बार चेक न करने की लत से बचने के लिए 'फोरेस्ट' या 'फ्लिप' जैसे एप्स का उपयोग करें. फोरेस्ट में एक साधारण इंटरफेस है जो आपके फोन को बंद रखने वालों के लिए एक डिजिटल पेड़ तैयार करता है. बार-बार छूने या फोन यूज करने से ये पेड़ मुरझा जाता है. पेड़ कहीं मुरझा न जाए यह प्रेरणा विद्यार्थियों को सेलफोन से दूर रखती है. फ्लिप्ड उपभोक्ता को अपने सेल के कुछ एप्लीकेशंस को हाइड करने की सुविधा देता है. उपभोक्ता एप्स को हाइड रखने का समय खुद सेट कर सकता है साथ ही उन्हें सेलफोन से दूर रहने की उनकी प्रोग्रेस के लिए भी ट्रैकर की सुविधा भी देता है.
05. अपना योगदान व समर्थन भी दें (Nourish Them with Your Support) हमारे अपने समर्थन व कोशिश के बिना बच्चे अपनी आदतों में परिवर्तन नहीं ला सकते. यहां तक कि जो विद्यार्थी खुद को विनियमित करना चाहते हैं वे भी माता-पिता के समर्थन के बिना ये नहीं कर सकते हैं. इसमें में कार्य के लिए समय व जगह निर्धारित करना शामिल होने कि सम्भावना है ताकि उक्त जगह को उत्पादक काम करने लायक बनाया जा सके. जैसे बच्चे के होमवर्क करने के दौरान पैरेंट्स अपने मोबाइल, टीवी व लैपटॉप की कुछ एप्स, चैनल व साइट्स को अवरुद्ध कर या रात में गैजेट्स का प्रयोग न करने जैसे सामान्य तरीको से भी अपने बच्चों को सकारात्मक माहौल दे सकते हैं.
06. अपेक्षाओं की बजाय सीखने पर ध्यान दें (Expect Less Learn More) बेहद नियोजित योजनाएं भी बुरी तरह फ्लॉप हो सकती हैं अगर उन पर अपेक्षाओं का बेहद दबाव हो. इसलिए महत्वपूर्ण है कि हम पूर्णता की बजाय सीखने की गति व प्रगति पर ध्यान दें. विद्यार्थियों के लिए उनकी विकृतियों के प्रबंधन व उत्पादकता में सुधार के लिए वे व क्या बेहतर करना चाहते हैं इस बारे में सोचने के लिए विद्यार्थियों के साथ मिलकर रोज का या हफ्ते का प्रोग्राम बनाएं. आनन-फानन में बिना किसी नतीजे या उम्मीद के अपने विद्यार्थियों से ओपन एंडेड सवाल पूछें. यह विद्यार्थियों को समाधानों के बारे में सोचने में मदद करेगा. दिमाग में अंतिम लक्ष्य के साथ आरंभ यानी कार्य को व अधिक कुशलता से करने के बारे में सोचना ताकि आराम करने व खेलने के लिए व अधिक समय मिल सके. हमें समझना होगा कि हम महसूस करने से ज्यादा प्रभावी तरीका से कार्य कर सकेंगे.
07. आलोचना न करें, हौसला बढ़ाएं (Avoid Criticism, Praise Them) वयस्कों की तरह बच्चे भी इस तरह की मदद चाहते हैं व उन्हें सरलता से स्वीकार भी करते हैं. अगर हम बच्चों को अपने कार्य को पूरा करने के लिए उपकरणों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो हमें संभावित विकृतियों को प्रबंधित करने के लिए उन्हें टूल देने की भी जरूरत है. हमारे बच्चों में सक्रिय रूप से इन आदतों को विकसित करने में हमारी विफलता पर हमारी आने वाली पीडिय़ां हमसे अवश्य सवाल करेंगी व हम उनका जवाब देने से बच नहीं पाएंगे इसलिए आइए आज से ही इस ओर ध्यान दें.