कहीं नाजुक कमर में बल न आ जाए अधिक बोझ से

कभी-कभी हम अपनी मस्ती में या कि हम अभी भी काफी जवां हैं, यह देखने के लिए भारी सामान उठा लेते हैं और फिर जब हमारी नाजुक कमर बल खा जाती है तो इसको झेलना काफी दुश्वार बन जाता है। कमर दर्द के साथ शुरू होता है सिलसिला गरदन दर्द, कंधों में दर्द और स्पाइन की परेशानी आदि का।

फिर इन दर्दों से छुटकारा पाने के लिए इधर-उधर भागना दौडऩा पड़ता है जिससे जीवन की चलती दौड़ती गाड़ी रूक रूककर चलने लगती है। इन सब परेशानियों से बचने के लिए यदि हम शुरू से ही सावधान रहें तो शायद हमें यह सब झेलना ही न पड़े।
- वजन उठाते समय ध्यान दें कि आगे झुककर एक दम वजन नहीं उठाना चाहिए।
- जब भी वजन उठाएं, एक ही हाथ से अधिक वजन ज्यादा देर तक न उठायें। दोनों हाथों का सहारा लेकर वजन उठाना चाहिए और थोड़ी थोड़ी देर के अन्तराल में हाथों के सामान को दूसरे हाथ से बदलना चाहिए।
- जमीन पर गिरी चीज को उठाने के लिए अचानक नहीं झुकना चाहिए।
- यदि जमीन पर कुछ गिर जाए तो ऐसे में पहले घुटनों को मोडऩा चाहिए, फिर झुकते हुए वजन उठाना चाहिए।
- ऊंची रखी वस्तु को पंजों के बल खड़े होकर नहीं उठाना चाहिए। नीचे स्टूल, पटड़ा रख कर ऊंचाई से वजन को उठाना चाहिए नहीं तो पंजों के दर्द के साथ-साथ स्पाइन में परेशानी भी हो सकती है।
- वजन ब्रीफकेस या कंधे पर टांगने वाले बैग के स्थान पर दोनों कंधों में उठाने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। अटैची, ब्रीफकेस या एक कंधे पर उठाने वाले बैग से गर्दन दर्द हो सकता है। यदि मजबूरीवश उठाना पड़े तो थोड़े अंतराल में बदलते रहें।
-हाथ में फ्रेक्चर हुए व्यक्ति को वजन हमेशा ध्यानपूर्वक और कम उठाना चाहिए।
- वजन हमेशा अपनी क्षमतानुसार ही उठाना चाहिए। क्षमता से अधिक वजन कमर दर्द की परेशानी को बढ़ा सकता है।
- कुर्सी पर बैठे हुए वजन कमर को मोड़कर कभी नहीं उठाना चाहिए। यह कमर को नुकसान पहुंचा सकता है।
- शरीर से दूर रखे वजन को झटके से उठाने पर कमर और कंधों पर जोर पड़ सकता है जो इन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। शरीर के पास लाकर वजन को उठाना चाहिए।
- नीतू गुप्ता

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