High BP के कारण बच्चों की आंखों की रोशनी हो सकती है कमजोर

आमतौर पर लोगों की ये धारणा होती है कि हाई ब्लड प्रेशर यानि कि उच्च रक्तचाप की समस्या से केवल उम्रदराज लोग ही पीड़ित हो सकते हैं। लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और लापरवाह जीवनशैली के कारण युवा भी इस बीमारी से अछूते नहीं रह गए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर 5 में से 1 व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में साफ तौर यह कहा गया है कि भारतीय कम उम्र में ही हाई ब्लड प्रेशर की चपेट में आ जाते हैं। हाई बीपी जो कि हृदय रोग से ग्रसित होने के महत्वपूर्ण कारकों में से एक है वो बच्चों को भी अपना शिकार बना सकती है। हालिया अध्ययनों में ये पता चलता है कि बच्चों में हाइपरटेंशन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

बच्चों में हाई बीपी: चेन्नई में हुए एक अध्ययन में ये पाया गया कि 13 से 17 साल के बीच के 21 प्रतिशत बच्चे हाइपरटेंशन यानि हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं। इससे कम उम्र के बच्चों में भी उच्च रक्तचाप की समस्या देखने को मिलती है जो गंभीर स्थिति में स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और किडनी डिजीज का कारण भी बन सकती हैं। स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ बेसल में किए गए एक नए अध्ययन में बताया गया है कि जिन बच्चों की आंखों में रेटिनल आर्टरी संकुचित होती है, उनमें उच्च रक्तचाप की संभावना अधिक होती है।
आंखों की रोशनी हो सकती है प्रभावित: शोधकर्ताओं के मुताबिक बच्चों में हाइपरटेंशन कार्डियो वास्कुलर डिजीज (CVD) को बुलावा दे सकता है। इस अध्ययन में रेटिना में ब्लड वेसल्स के एनालिसिस को CVD जोखिम के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा गया है। इसके अनुसार बच्चों में हाई बीपी कम उम्र में आंखों की रोशनी संबंधित परेशानियों को बढ़ाता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में प्राथमिक रोकथाम की रणनीतियों पर ध्यान दिया जाए ताकि रेटिना से जुड़ी प्रॉब्लम्स के साथ ही ब्लड प्रेशर की परेशानी भी उनमें न बढ़े। उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए प्रारंभिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव जरूरी है, इससे बीमारी को कंट्रोल और मैनेज करने में मदद मिल सकती है।
इन बातों का रखें ख्याल: जिस तरह व्यस्कों को ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने की हिदायत दी जाती है, बच्चों को भी उन्हीं चीजों को फॉलो करने के लिए कहें। सबसे ज्यादा जरूरी है कि उन्हें जंक फूड का सेवन न करने दें। डाइट में नमक व चीनी कितनी मात्रा में होनी चाहिए, इस बात को सुनिश्चित करें। बच्चे का वजन ज्यादा न बढ़े इस ओर हमेशा ध्यान देते रहें। फल, सब्जी, साबुत अनाज, लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स, चिकेन, मछली जैसे लीन प्रोटीन को नियमित रूप से डाइट में शामिल करें। साथ ही साथ, उन्हें फिजिकल एक्टिविटी करने के लिए भी प्रेरित करें।

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