खालिस्तान समर्थक एसएफजे ने रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण शुरू किया

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक समूह, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने शनिवार को पंजाब में लोगों के लिए रेफरेंडम 2020 के लिए एक रूसी पोर्टल के जरिए अपना बहुप्रचारित ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण शुरू कर दिया है।गृह मंत्रालय ने पिछले साल जुलाई में खालिस्तान की मांग के लिए एक ऑनलाइन अभियान रेफरेंडम 2020 की वकालत करने के लिए एसएफजे पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो सिखों के लिए एक अलग मातृभूमि की मांग करता है।

जानकारी के अनुसार, एसएफजे ने रूसी वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट पंजाब फ्री डॉट आरयू के माध्यम से रेफरेंडम 2020 मतदाता पंजीकरण शुरू किया है। यह पंजीकरण गैर-सरकारी पंजाब स्वतंत्रता जनमत संग्रह के संदर्भ में लोगों की भागीदारी दर्शाने के लिए शुरू किया गया है। इसमें पंजाब के लोगों के साथ ही देश के किसी भी हिस्से में रहने वाले सिख या अन्य धर्म के 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों के लिए अपना मत पंजीकृत करने की अपील की गई है।
पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी रूस स्थित वेबसाइट पर अंग्रेजी और पंजाबी भाषाओं में दी गई है। इसमें वोट के पंजीकरण के लिए तीन चरणों का उल्लेख है और साथ ही रेफरेंडम 2020 के बारे में अपडेट प्राप्त करने के लिए साइन-अप करने की बात कही गई है।
भारत सरकार ने खालिस्तान समर्थक किसी भी गतिविधि पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद एसएफजे ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक जमीनी स्तर की योजना बना रखी है कि रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण फॉर्म पंजाब के हर घर तक पहुंचे।
अमेरिका में रहने वाले आतंकवादी गुरपटवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो के माध्यम से मतदाता पंजीकरण की घोषणा की, जिसने पंजाब पुलिस के साथ ही केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की भी परेशानी बढ़ा दी है।
भारत सरकार तब से संबंधित अधिकारियों के संपर्क में है कि एसएफजे ने कैसे रूसी साइबरस्पेस का इस्तेमाल करके रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण शुरू किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक जुलाई को ही दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती देने पर प्रतिबद्धता जाहिर की है। इसके बाद अब भारत विरोधी अभियान के लिए एक रूसी पोर्टल का उपयोग चिंता का विषय बन गया है।
इस घटनाक्रम ने भारत-रूसी ऐतिहासिक संबंधों पर भी सवाल उठाए हैं। चूंकि रूस के पास वेब पोर्टल के लिए अपने यहां सबसे कठोर कानूनी ढांचा है, इसलिए इस मामले को राजनयिक चैनलों के माध्यम से उठाया गया है कि कैसे एसएफजे भारत के खिलाफ अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए उस देश के साइबरस्पेस का उपयोग करने में कामयाब रहा।
इस बीच पंजाब पुलिस ने अमृतसर शहर में स्वर्ण मंदिर परिसर के आसपास के इलाके की घेराबंदी कर दी और धर्मस्थल के चारों ओर पुलिसकर्मियों की एक टुकड़ी तैनात कर दी है।
हालांकि पुलिस अधिकारियों ने कड़ी सुरक्षा के बारे में चुप्पी साध रखी है, लेकिन खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने कहा कि यह एहतियात के तौर पर किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि एसएफजे द्वारा चार जुलाई की तारीख को रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण के लिए चुना गया, क्योंकि सरकार ने 1955 में इसी दिन इकट्ठे अलगाववादी सिख कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने का आदेश दिया था।
कट्टरपंथी समूह एसएफजे को पाकिस्तान स्थित संचालकों द्वारा पंजाब में कट्टरपंथी सिख तत्वों को पैसा और अन्य जरूरी सहायता प्रदान की जाती है, ताकि भारत में विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके।
एसएफजे का नेतृत्व अवतार सिंह पन्नू और गुरपटवंत सिंह पन्नू कर रहे हैं, जिन्होंने खालिस्तान की वकालत करने के साथ ही रेफरेंडम 2020 के लिए ऑनलाइन अलगाववादी अभियान शुरू कर दिया है।
-आईएएनएस

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