डिप्रेशन को लेकर बहुत सारे सवाल मन में पैदा होते हैं. डिप्रेशन क्या है और इसके लक्षण क्या होते हैं? इसके भयानक नतीजे से कैसे बचा जा सकता है? सबसे पहले ये जान लीजिए डिप्रेशन सामान्य बीमारियों की तरह एक रोग है. रोगी को बीमारी के दौरान हमदर्दी की जरूरत होती है.
विशेषज्ञों के मुताबिक जैसे सर्दी, जुकान, बुखार, शुगर या ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां होती हैं उसी तरह डिप्रेशन भी एक रोग होता है. इसके रोगी हमदर्दी और करुणा के पात्र होते हैं. ये एक मानसिक बीमारी होती जो किसी को भी पकड़ सकती है. डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति में उदासी एक ऐसी मनो स्थिति का नाम है जो किसी घटना के बाद आम तौर पर देखी जाती है. अगर उसे दूर नहीं किया गया या सामान्य से ज्यादा उदासी बढ़ गई तो इससे डिप्रेशन की आशंका मजबूत हो जाती है.
मनोवैज्ञानिक तकलीफ की सबसे बड़ी समस्या ये है कि उसे दिखाया नहीं जा सकता. उसे समझने के लिए किसी दयावान शख्स का साथ मिल जाए तो स्वास्थ्य लाभ की ज्यादा संभावना बन जाती है.
अगर इस तरह के लक्षण जाहिर हों तो उसे डिप्रेशन का संकेत समझें-
1. ज्यादातर समय उदासी और पछतावा का जाहिर होना
2. दिलचस्पी के काम या सामान में दिल का नहीं लगना
3. शारीरिक, मानसिक कमजोरी या फिर थकान महसूस होना
4. खुद को दूसरों से हीन समझकर आत्मविश्वास गिरा लेना
5. पुरानी गलतियों के लिए खुद को जिम्मेदार समझने लगना
6. खुदकुशी के विचार आना या संगीन स्थिति में कोशिश करना
7. नींद की खराबी, अपर्याप्त नींद के बाद दोबारा नहीं सोना
डिप्रेशन का अंतराल और उदासी की गंभीरता को समझें
इस तरह के अगर आपको लक्षण दिखाई दें तो फौरी मनोवैज्ञानिक से संपर्क करें. डिप्रेशन का अंतराल और गंभीरता की निर्भरता इंसान के व्यक्तित्व और प्रतिरोधक पर भी होती है. कुछ मरीज साइकोथेरेपी से भी ठीक होने लगते हैं. लिहाजा उदासी को डिप्रेशन में ढलने से रोकने के लिए सबसे पहले किसी दयालु शख्स को अपना दोस्त बनाएं.