कोरोना वायरस की कथित दवा कोरोनिल को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया है।
हरिमूमी पर छपी खबर के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहन्ती की खंडपीठ ने आयुष मंत्रालय, आईसीएमआर, पतंजलि आयुर्वेद, निम्स अस्पताल, राज्य सरकार और चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
कोरोनिल दवा की लॉन्चिंग के बाद से ही उसे लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दवा की लॉन्चिंग के 5 घंटे बाद ही आयुष मंत्रालय ने इसके प्रचार पर रोक लगा दी थी। लेकिन इस बुधवार को बाबा रामदेव ने दावा किया है कि आयुष मंत्रालय ने उनकी दवा को क्लीनचिट दे दी है।
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एसके सिंह ने कोर्ट को बताया कि कोरोनिल दवा के ट्रायल में नियमों की अनदेखी की गई है। ट्रायल से पहले आधिकारिक अनुमति नहीं लेने की भी बात सामने आ रही है।
ऐसे में जब तक कोरोनिल दवा को लेकर लाइसेंस सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी नहीं कर ली जाती है। तब तक राजस्थान में दवा के प्रचार और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। इस पर कोर्ट ने मामले के सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करके उनसे जवाब मांगा है।
पतंजलि आयुर्वेद की ओर से जिस निम्स अस्पताल में कोरोना के 50 मरीजों पर दवा के ट्रायल का दावा किया गया था। उसे भी हाई कोर्ट ने नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
पतंजलि का दावा था कि उन्होंने निम्स सहित देश के अलग-अलग अस्पतालों में कोरोना मरीजो पर दवा का ट्रायल किया है। जिसमें उन्हें सफलता मिली है। लेकिन राजस्थान सरकार का कहना था कि उन्हें इस तरह के ट्रायल की कोई जानकारी ही नहीं थी।
इससे पहले 26 जून को जयपुर में ही अधिवक्ता बलराम जाखड़ ने बाबा रामदेव सहित अन्य 4 के खिलाफ खिलाफ ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया था।
शिकायत में कहा गया था कि इन्होंने कोरोना वायरस की दवा के तौर पर कोरोनिल को लेकर भ्रामक प्रचार किया।
एफआईआर में योग गुरू बाबा रामदेव, बालकृष्ण, वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, निम्स के अध्य्क्ष डॉ बलबीर सिंह तोमर, निदेशक डॉ अनुराग तोमर को आरोपी बनाया गया है।