सहरसा। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान कोरोना वायरस संक्रमित की मौत होने के बाद कोरोना के भ्रम को लेकर बुधवार को स्थानीय डॉक्टर व अन्य के साथ वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में दिल्ली के विशेषज्ञ टीम में शामिल डॉ. वंदना प्रसाद ने बताया कोरोना संक्रमित के मृत शरीर से संक्रमण फैलने का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य सामने नहीं आया है। इस बारे में कई भ्रामक जानकारियां फैली हुई हैं। दुखद है कि इन्हीं भ्रामक जानकारियों के कारण परिवार के लोग कोरोना के शिकार लोगों का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं। मृतकों का अंतिम संस्कार परिजनों द्वारा किये जाने में कोई खतरा नहीं है। उन्हें दफनाने या उनका दाह संस्कार करने से कोरोना का संक्रमण नहीं फैलता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसको लेकर एक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया था। दिल्ली के विशेषज्ञ टीम में शामिल डॉ. जॉन दयाल ने कहा विज्ञान और वैज्ञानिक समझ हमसे अपील करती है कि हम सामाजिक दूरी का पालन करें और अपने बीमार परिजनों के पास मास्क आदि सुरक्षा प्रबंधो के बिना न जाएं। इसके साथ साथ हमें इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच बनी धारणा को बदलने की जरुरत है। हमें भय, ़गलत़फहमी और भ्रामक जानकारियों को रोकने के लिए वृहत पैमाने पर समुदाय में जागरूकता फैलानी होगी। डॉ. टी. सुन्दररमण ने बताया सामजिक दूरी का पालन करते हुए लोग अपनी मान्यता के अनुसार अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार खुद से कर सकते हैं। बस यह ध्यान रखना है कि इस कार्यक्रम में ज्यादा लोग शामिल न हों और शारीरिक दूरी का सख्ती से पालन हो। सिर्फ करीबी लोग इसमें मास्क लगाकर शामिल हों और वृद्ध लोगों और बच्चों को ऐसे कार्यक्रम से दूर रखा जा।. अगर धार्मिक मान्यता के अनुसार खाने-पीने का इंतजाम करना है तो सबके लिए अलग बर्तन रखे जाएं और आयोजन किसी खुली जगह पर कराया जाए।
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Posted By: Jagran
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