मधेपुरा। जैसे-जैसे नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी हो रही है। दियारा क्षेत्र में हलचल तेज हो गई है। लोग डर रहे हैं अधिक पानी बढ़ने से गांव में पानी धूस जाएगा। बरसात के दिनों में कोसी का पानी सबको डराता है। खासकर चार दर्जन गांवों के लोग तो डर-डरकर रहते हैं। कहीं बाढ़ का पानी बहा न ले जाए। करीब 50 हजार की आबादी प्रभावित होती है। खासकर चौसा, पुरैनी, आलमनगर, उदाकिशुनगंज व कुमारखंड में परेशानी होती है। चौसा के फुलौत में तो कई गांव पानी से इस प्रकार घिर जाता है कि उन्हें जरूरी सामान नाव ले लाना पड़ता है। स्थिति विकट हो जाती है। लगातार हो रही बारिश से नदियों का बढ़ता जलस्तर देखकर लोग परेशान हैं। लोगों ने सूखा राशन जुटा ली है। साथ ही पशुओं के चारा का भी इंतजाम किया जा रहा है। इन कारण से आती है बाढ़ बरसात के दिनों में नेपाल के पहाड़ी इलाके में अधिक बारिश के कारण कोसी बराज से पानी छोड़ा जाता है। कोसी तटबंध सही नहीं रहने के कारण पानी बढ़ने से बाढ़ का रूप ले लेता है। इससे चौसा, आलमनगर, पुरैनी आदि क्षेत्रों में अधिक परेशानी होती है।
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इन प्रखंडों में होती है परेशानी सबसे खराब स्थिति चौसा की होती है। चौसा के फलौत के कई गांव के लोग तो बरसात आते ही कैद होकर रह जाते हैं। वहीं रतवारा, मुरौत आदि क्षेत्र के लोग नदी के किनारे बसे हुए हैं। थोड़ा सा पानी बढ़ने पर लोगों के बीच डर समा जाता है। वहीं पुरैनी, आलमनगर, कुमारखंड व उदाकिशुनगंज के कई गांव भी बाढ़ से प्रभावित होता है। इन गांवों से बाहर निकलने के लिए चचरी पुल का सहारा रहता है।
इन नदियों से होती है परेशानी बरसात के दिनों में नदियों में पानी बढ़ने से कई गांवों में भय का माहौल रहता है। कोसी, सुरसर, कमला, टेंगराहा, बघला आदि नदियों में पानी बढ़ने से आस-पास के गांवों के लोग भयभीत हो जाते हैं। गांवों के लोगों को चचरी पुल व नाव का सहारा लेना पड़ता है।
कोसी त्रासदी ने बिगाड़ी थी सूरत वर्ष 2008 में आयी कोसी त्रासदी ने जिले की सूरत बिगाड़ दी थी। बाढ़ के कारण काफी क्षति हुई थी। पुल-पुलिया व बांध ध्वस्त हो गए थे। जो अब तक पूर्ण रूप से नहीं बनाई जा सकी है। ऐसे में लोगों को बरसात में बाढ़ का खतरा सताता है।
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Posted By: Jagran
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