मधेपुरा। रवि कुमार संत, मधेपुरा : विश्वविद्यालय एवं कॉलेज गुणवत्ता को लेकर अक्सर अपनी पीठ थपथपाती है। लेकिन विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा जब मूल्यांकन की बात आती है तो उनके हाथ-पांव फूल जाता है। यही वजह है कि तीन जिले के बीएन मंडल विश्वविद्यालय में महज तीन कॉलेज ने अभी तक नैक ग्रेडिग हासिल की है। विडंबना तो यह है कि खुद विवि का मूल्यांकन ही नैक से नहीं हुआ है। विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों की स्थिति तो और खराब है। फिलहाल नैक मूल्यांकन की दिशा में बीएनएमयू ढाई दशक पीछे चल रहा है। यदि विवि और सभी कॉलेजों ने नैक मूल्याकन नहीं कराया तो उनको मिलने वाले सभी ग्रांट पर रोक लगा दी जाएगी। ग्रांट नहीं मिलने से विवि और कॉलेजों को काफी परेशानी हो सकती है। शैक्षणिक विकास रुक सकता है। यहां एक्सपर्ट की कमी के कारण विवि अंतर्गत अधिकांश कॉलेजों में नैक में आवेदन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। कॉलेजों की इस लेटलतीफी और लापरवाही का खामियाजा वहा पढ़ने वाले छात्रों को उठाना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी कॉलेजों एवं विश्वविद्यालय के लिए नैक मूल्याकन अनिवार्य कर दिया है। राजभवन ने इसकी अनिवार्यता को लेकर पूर्व में बीएनएमयू को निर्देश जारी किया था।
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कॉलेजों के लिए जरूरी होगा नैक एक्रिडेशन
विश्वविद्यालय और कालेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) एक्रिडेशन लेना अनिवार्य किया गया है। इसी के तहत यूजीसी ने विश्वविद्यालय को पत्र भी लिखा है। इसमें कहा गया है कि वे नैक एक्रिडेशन लेने के लिए रिसर्च, विद्यार्थियों की संख्या, शिक्षकों के पदों को भरने समेत शिक्षा गुणवत्ता पर खास फोकस करें।
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क्या है नैक एक्रिडेशन
मूल्यांकन एवं प्रत्यायन को मूलत: किसी भी शैक्षिक संस्था की गुणवत्ता की स्थिति को समझने के लिए प्रयोग किया जाता है। वास्तव में यह मूल्यांकन यह निर्धारित करता है कि कोई भी शैक्षिक संस्था या विश्वविदद्यालय प्रमाणन एजेंसी के द्वारा निर्धारित गुणवत्ता के मानकों को किस स्तर तक पूरा कर रही है। नैक के माध्यम से सभी स्वपोषित व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों का सिर्फ मूल्यांकन कराया जाएगा। नैक के विशेषज्ञों की टीम शैक्षिक प्रक्रियाओं में संस्था का प्रदर्शन, पाठ्यक्रम चयन एवं कार्यान्वयन, शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन तथा छात्रों के परिणाम, संकाय सदस्यों का अनुसंधान कार्य एवं प्रकाशन, बुनियादी सुविधाएं तथा संसाधनों की स्थिति, संगठन, प्रशासन व्यवस्था, आर्थिक स्थिति तथा छात्र सेवाएं आदि कुल सात बिन्दुओं पर जांच करके देखेगी कि कालेज मानकों के दायरे में आते हैं अथवा नहीं। नैक टीम के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित विश्वविद्यालय अथवा महाविद्यालय को ए-उत्कृष्ट, बी-अच्छा, सी-संतोषजनक अथवा डी-असंतोषजनक ग्रेड दिया जाएगा। इसी आधार पर उन्हें ग्रांट या सहायता का लाभ मिलेगा।
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यूवीके और मधेपुरा कॉलेज ने नैक ग्रेडिग में हासिल की सफलता
बीएन मंडल विवि अंतर्गत तीन अंगीभूत कॉलेज ने अब तक नैक से मूल्यांकन कराया है। इसमें आरएम कॉलेज सहरसा का समय सीमा समाप्त हो गया है। वहीं हाल फिलहाल पीएस कॉलेज मधेपुरा को बी ग्रेड और रमेश झा महिला कॉलेज को सी ग्रेड मिला है। अगर बात करें संबंधन प्राप्त कॉलेजों की तो विवि अंतर्गत मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा ने बी और यूवीके कॉलेज ने नैक से बी प्लस ग्रेडिग कराने में सफलता हासिल की है। यहां बता दे कि विवि अंतर्गत कुल 13 अंगीभूत कॉलेज और 16 संबंधन प्राप्त कॉलेज हैं। इस परिस्थिति में विवि ग्रेडिग प्राप्त कॉलेजों से एक्सपर्ट की टीम तैयार कर नैक मूल्यांकन की दिशा में आगे बढ़ सकती है।
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इस दिशा में लगातार बैठक कर विवि नैक मूल्यांकन को लेकर तैयोरी कर रही है। जल्द से जल्द बीएनएमयू का नैक मूल्यांकन होगा।
डॉ. कपिलदेव प्रसाद
कुलसचिव, बीएनएमयू
Posted By: Jagran
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