लखीसराय । यदि आप घर से बाहर निकले हैं तो सावधान रहें। बेसहारा कुत्ते आपको अपना शिकार बना सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो अस्पतालों में इससे बचाव को वैक्सीन नहीं है। एक ओर सरकार जहां लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी ओर जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं है। बरसात शुरू होते ही जिले में कुत्ता काटने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हो गई है। जिले में प्रतिदिन औसतन दो दर्जन लोग कुत्ता काटने के शिकार हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में विगत एक सप्ताह से एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं है। इस कारण कुत्ता काटने वाले मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।
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कुत्ता अथवा जंगली जानवर के काटने पर बचाव को एआरवी लगवाना जरूरी
कुत्ता अथवा जंगली जानवर के काटने से हाईड्रोफोबिया नामक बीमारी होने का खतरा रहता है। इससे बचाव के लिए एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाना जरूरी है। अन्यथा कुत्ता अथवा जंगली जानवर काटने वाले लोगों की जान भी जा सकती है।
कुत्ता काटने वाले मरीज को लगता है पांच इंजेक्शन
कुत्ता काटने वाले व्यक्ति को पांच एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाना जरूरी है। पहला इंजेक्शन कुत्ता के काटने के 24 घंटे के भीतर, दूसरा इंजेक्शन तीसरे दिन, तीसरा इंजेक्शन सातवां दिन, चौथा इंजेक्शन चौदहवां दिन एवं पांचवां इंजेक्शन इक्कीसवां दिन लगवाना होता है।
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मरीजों का दर्द
खड़गवाड़ा निवासी नीरज कुमार ने बताया कि चार दिन पूर्व ही उसे एक कुत्ता ने काट लिया है। उसके बाद से इंजेक्शन लेने के लिए प्रतिदिन सदर अस्पताल जा रहे हैं। परंतु इंजेक्शन नहीं होने की बात कहकर लौटा दिया जाता है।
मंडल कारा लखीसराय के समीप के रामबालक शर्मा ने बताया कि दो दिन पूर्व ही उसे कुत्ता ने काटा है। इंजेक्शन लेने के लिए दो दिन सदर अस्पताल पहुंचे। परंतु इंजेक्शन नहीं मिला।
औरे निवासी शोभा देवी की मानें तो चार दिन पूर्व ही उसे कुत्ता ने काटा है। उसके बाद से इंजेक्शन लेने के लिए रोज सदर अस्पताल आ रही हैं परंतु इंजेक्शन नहीं रहने की बात कहकर वापस लौटा दिया जाता है।
कोट
एंटी रेबीज वैक्सीन की मांग की जा चुकी है। जल्दी ही उपलब्ध होने की संभावना है। इसके बाद जिले के सभी अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन की समस्या नहीं रहेगी।
डॉ. अत्मानंद कुमार, सिविल सर्जन, लखीसराय
Posted By: Jagran
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