आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमण का खतरा कितना बड़ा होगा?, जाने जवाब

पूरी संसार में कहर बरपा रहे कोरोनावायरस का प्रकोप हिंदुस्तान में भी रोज बढ़ता जा रहा है. आलम यह है कि घर-घर में कोरोना पहुंचने लगा है. ऐसे में, बुजुर्गो व श्वांस और दिल रोग, मधुमेह, कैंसर के मरीजों को इस खतरनाक वायरस के संक्रमण से बचाने की आवश्यकता है

क्योंकि विशेषज्ञ कहते हैं कि फेफड़ा व दिल के मरीजों को कोरोना का खतरा डबल यानी दोगुना है.
विशेषज्ञ बताते हैं कि कोरोनावायरस फेफड़ा व दिल को क्षतिग्रस्त करता है, हालांकि राहत की बात है कि हिंदुस्तान में अभी इस वायरस से दिल के क्षतिग्रस्त होने के ज्यादा मुद्दे नहीं आ रहे हैं.
पद्मभूषण डाक्टर नरेश त्रेहन ने आईएएनएस से वार्ता में कहा, "कोविड का संक्रमण मुंह, नाक से ही होकर फेफड़े में फैलता है उसे क्षतिग्रस्त करता है. ऑक्सीजन की कमी होने से रक्तवाहिनी में रक्त का थक्का जमने लगता है." उन्होंने बोला कि सांस लेने में तकलीफ होने व शरीर में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मृत्यु हो जाती है.
ख्याति प्राप्त दिल रोग विशेषज्ञ व भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डाक्टर के। के। अग्रवाल ने भी बताया कि कोरोनावायरस फेफड़ा व दिल को क्षतिग्रस्त करता है. हालांकि डाक्टर अग्रवाल कहते हैं कि हिंदुस्तान में अब तक दिल क्षतिग्रस्त होने के मुद्दे ज्यादा नहीं आ रहे हैं.
डा। अग्रवाल ने बोला कि हिंदुस्तान में कोरोवायरस संक्रमण के जो मुद्दे आ रहे हैं उनमें लॉस ऑफ स्मेल या लॉस ऑफ टेस्ट या फीवर की शिकायतें ज्यादा मिल रही हैं." मतलब कोरोना के ज्यादातर मरीजों में सूंघने और स्वाद लेने की शक्ति क्षीण होने या बुखार होने की शिकायतें ज्यादा मिल रही हैं.
आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमण का खतरा कितना बड़ा होगा? इस सवाल पर पद्मश्री डाक्टर अग्रवाल ने कहा, "घर-घर में कोविड-19 फैल चुका है व जिस ढंग से लगातार फैल रहा है, अब मुद्दे आने वाले दिनों में बढ़ जाएंगे, यह चिंता की बात नहीं है, बल्कि इससे कैसे लोगों को बचाना है इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है." उन्होंने बोला कि यह सीरियस कोविड नहीं है, इसलिए मुद्दे बढ़ भी जाते हैं तो घबराने की आवश्यकता नहीं है.
डाक्टर त्रेहन ने बोला कि बच्चों से ज्यादा बुजुर्गो को कोरोना का खतरा ज्यादा है क्योंकि बुजुर्गो में रोगप्रतिरोधी क्षमता कम होती है जबकि बच्चों में ज्यादा.
कोविड-19 सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस-2 (सार्स-सीओवी-2) के संक्रमण से होने वाली बीमारी है जो सबसे पहले चाइना के वुहान शहर में फैली, लेकिन अब वैश्विक महामारी का रूप ले चुकी है व पूरी संसार में चार लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है व इसके संक्रमण के करीब 80 लाख मुद्दे आ चुके हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, हिंदुस्तान में कोरोनावायरस संक्रमण के 3,32,424 मुद्दे आ चुके हैं जिनमें से 9520 लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं. आंकड़ों के अनुसार, कोरोना से संक्रमित हुए 169798 लोग स्वस्थ हो चुके हैं जबकि 153106 सक्रिय मुद्दे हैं जिनका इलाज चल रहा है. कोरोनावायरस संक्रमण से रिकवरी को लेकर पूछे गए सवाल पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वैज्ञानिक ने बताया कि रिकवरी इस बात पर निर्भर करती है कि आबादी में किस आयु वर्ग के लोग ज्यादा हैं, जहां उम्रदराज लोगों की आबादी ज्यादा है वहां रिकवरी की दर कम है व कम आयु के लोगों की आबादी जहां ज्यादा है वहां रिकवरी की दर अधिक है.
आईसीएमआर के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी), गोरखपुर के निदेशक एवं आईसीएमआर के रिसर्च मैनेजमेंट, पॉलिसी प्लानिंग एंड बायोमेडिकल कम्युनिकेशन प्रमुख डाक्टर रजनीकांत श्रीवास्तव ने आईएएनएस से बोला कि कोविड-19 को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं बल्कि सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

अन्य समाचार