सहरसा। कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन के कारण दूसरे प्रदेशों में रोजी कमा रहे जिले के 48,618 वापस आ गए। कोविड पोर्टल पर इन मजदूरों का इंट्री कर लिया गया है,परंतु सरकारी घोषणा के अनुसार इन मजदूरों को काम नहीं उपलब्ध कराया जा सका है। क्वारंटाइन केंद्रों व सर्वेक्षण के माध्यम इनमें से लगभग 26 हजार को जॉब कार्ड तो दे दिया गया है, परंतु इसे चाहे मजदूरों के काम के प्रति अनिच्छा माने या प्रशासनिक विफलता अबतक महज 21 सौ प्रवासी को ही काम मिल पाया है। मनरेगा योजना में काम नहीं मिल पाने व समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं होने के कारण दूसरे प्रदेश से लौटे प्रवासी फिर पलायन के लिए मजबूर हो रहे हैं। स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिल पाने और पंजाब में मजदूरों की कमी के कारण प्रभावित हो रहे धनरोपनी को पूरा करने के लिए मजदूरी बढ़ा दी गई है। मजदूरों के मेठ द्वारा तीन हजार प्रति एकड़ से मजदूरी बढ़ाकर सात हजार कर दिया है। ऐसे में अपनी रोजी के प्रलोभन में मजदूर पुन: पलायन करने लगे हैं। जानकारी के अनुसार सत्तरकटैया, पतरघट व महिषी के दो हजार से अधिक मजदूरों का पुन: दूसरे प्रदेश में पलायन हो चुका है।
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काम मांगने से भी परहेज कर रहे मजदूर
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पूर्व में बासडीह भराई के अपने निजी काम में मनरेगा मजदूर रूचि लेते थे, परंतु अब यह योजना बंद है। मनरेगा, जलजीवन हरियाली अन्तर्गत पोखर की उड़ाही, वृक्षारोपण, सड़क निर्माण, सार्वजनिक स्थानों में सोख्ता निर्माण, पशु शेड निर्माण एवं आवास योजना के लिए मजदूरों की मांग है, परंतु कम मजदूरी मिलने के कारण दस फीसद ही मजदूर काम मांग रहे हैं। अगर इनलोगों के लिए कोई दूसरा प्रबंध नहीं किया गया, तो ये लोग पुन: पलायन के लिए मजबूर हो जाएंगे।
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कुशल व अर्द्धकुशल लोगों को रोजगार की बनाई जा रही है रणनीति
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जिला प्रशासन ने चालू वित्तीय वर्ष में 96 लाख मानवदिवस सृजन का लक्ष्य रखा है। प्रवासी मजदूरों के वापस आने के कारण इस लक्ष्य को और बढ़ाने की जरूरत है। जिला प्रशासन इसके लिए रोजगार सृजन की योजना बना रहा है। साथ ही मजदूरों के स्कील सर्वे के आधार पर कुशल और अर्द्धकुशल मजदूरों को चिह्नित कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है।
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जिन मजदूरों द्वारा काम की मांग की जाएगी, उन्हें हर हाल में काम उपलब्ध कराया जाएगा। सभी प्रवासी
मजदूरों का जॉब कार्ड बनाया जा रहा है। पंचायतों को भी इसके लिए निर्देश दिया गया है।
राजेश कुमार सिंह डीडीसी, सहरसा।
Posted By: Jagran
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