शहरनामा ::: लखीसराय

बांट दी एक्सपायरी कोल्ड ड्रिक्स

इस लॉकडाउन ने बहुतों का बहुत कुछ सीखा दिया है। कुछ का समाज सेवा करना सीख दिया है तो कुछ को कम आमदनी में जीने की कला सीखा दिया है। समाज सेवा की नई सीख में इसके नाम पर दिखावा है। अब सत्तारूढ़ दल से जुड़े अपने नेता जी को ही लीजिए। नगर परिषद की भी राजनीति करते हैं। दो सामाजिक संगठनों ने मिलकर उनके हाथों कोराना योद्धाओं के बीच 22 मई को एक्सपायरी कोल्ड ड्रिक बंटवा दिया। दोनों संस्थाओं के पढ़े-लिखे प्रबुद्ध पदाधिकारी एवं सदस्य भी वहां मौजूद थे, लेकिन गरीब मजदूरों के स्वास्थ्य से अधिक तो उनको सामाजिक कार्यकर्ता कहलाने का गौरव हासिल करना था। सो, खुद की आंख बंद करके कोरोना योद्धाओं के बीच एक्सपायरी कोल्ड ड्रिक बांट दी। उन्होंने सोचा था कि यह किसी को पता नहीं चलेगा। लेकिन, यह बात शहर में फैली भी काफी तेजी से। अब बचाव में तरह-तरह की बातें कह रहे।
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जला दिया पुर्जा
अपनी आर्थिक क्षमता बढ़ाने के लिए आदमी किसी भी हद तक जा सकता है यह उसकी कहानी है। जिले की सीमांत वाले मास्टर साहब और खाकी वर्दी वाले साहब हैं। मास्टर साहब मुखिया जी के नाम से भी पुकारे जाते हैं। वे एमपी यानी मुखिया पति रह चुके हैं। उस दौरान अकूत संपत्ति अर्जित की। एनएच किनारे आलीशान मार्केटिग कॉम्पलेक्स अभी भी उनके खुद के विकास की गाथा गा रहा है। वे इन दिनों क्वारंटाइन सेंटर के प्रभारी हैं। वर्दी वाले साहब सहित अन्य साहबों को मैनेज करने की कला उन्हें पहले से पता ही है, इसलिए सेंटर चलाने में परेशानी कम लाभ अधिक देख रहे हैं। अभी एक प्रवासी कोराना पॉजिटिव मिला तो इन्होंने अपने बचाव में वर्दी वाले साहब के साथ मिलकर उसके डॉक्टरी पुर्जा को ही जला दिया, चूंकि उसमें होम क्वारंटाइन लिखा हुआ था। अब कहे जा रहे हैं प्रवासी भागकर घर में रह रहा था।
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इंश्योरेंस चेक कर रहे
सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार किस तरह हावी है, इसकी पोल गत दिनों आई आंधी और बारिश ने खोल दी। बिजली आपूर्ति जिले के ग्रामीण इलाके तो दूर शहरी क्षेत्र के नया बाजार इलाके में भी तीन दिनों तक गुल रही। जिले भर में तीन दर्जन से अधिक जगहों पर विद्युत पोल और तार टूटकर गिर गए। दो से तीन दर्जन जगहों पर पोल टेढे़-मेढे़ हो गए। कायदे से विभाग को इसके लिए संवेदक के खिलाफ केस दर्ज करना चाहिए। चूंकि जिस मानक के तहत संवेदक को मैटेरियल देना चाहिए वह नहीं देता है। लेकिन, जब मामला लेन-देन को हो तो नीचे से ऊपर तक जाता है, इसलिए कार्रवाई की बात छोड़ अधिकारी इंश्योरेंस का हिसाब-किताब करने में लगे हैं। संचरण कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी के बाद अब क्षति का आकलन करके इंश्योरेंस वसूली के लिए सभी लग गए हैं। नुकसान तो सरकार और पब्लिक को हो रहा है।
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आपदा बना अवसर
साहब प्रखंड सह अंचल कार्यालय में हैं। पड़ोसी जिले के रहने वाले हैं। इससे पहले जिस जिले में थे वहां वे दागी रहे थे। इस कारण कार्रवाई के दायरे में भी आए थे। लेकिन समय बीतने के साथ सब कुछ ठीक हो गया। साहब फिर से पुराने जगह पर आ गए हैं। उनके कामकाज संभालते ही कोरोना का संकट आ गया। सरकार के निर्णय के तहत आपदा के मालिक हैं। कोरोना के कारण दूसरे प्रदेशों से आ रहे प्रवासियों को क्वारंटाइन सेंटर में ठहराया जा रहा है। आपदा के तहत ही क्वारंटाइन सेंटरों एवं आइसोलेशन सेंटर का संचालन किया जा रहा है। नाश्ता-भोजन, जेनरेटर सहित अन्य सुविधाएं प्रवासियों को देने का प्रावधान है। लेकिन, एजेंसी के माध्यम से इसकी आपूर्ति करके घोर लापरवाही की जा रही है। रोज-रोज हंगामे से आजिज होकर साहब को गुस्सा भी आता है। लेकिन आपदा की बहती गंगा में नहाने से गुरेज भी नहीं है।
Posted By: Jagran
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