लखीसराय । जिले के सात प्रखंडों में 3002 नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें से अधिकांश शिक्षक 17 फरवरी 2020 से अपने हक और अधिकार के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए थे। लगातार 78 दिनों तक हड़ताल में रहने के बाद चार मई को सरकार व संघ के बीच वार्ता होने के उपरांत हड़ताल से वापस लौटे हैं। इस वार्ता में 17 फरवरी से लेकर 24 मार्च तक हड़ताल अवधि माना है। शेष अवधि को लॉक डाउन मानते हुए वेतन भुगतान करने का आदेश दिया गया है। दुर्भाग्य इस बात का है कि सरकार द्वारा बिहार के सभी जिलों में फरवरी और मार्च 2020 का आवंटन प्राप्त है। इस बाबत बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष बबलू कुमार ने कहा है कि जानबुझकर नाइंसाफी की जा रही है। उन्होंने कहा कि
बांटी गई मिठाई यह भी पढ़ें
जिले में मार्च 2020 के सात दिनों का वेतन भुगतान स्थापना शाखा के द्वारा किया गया है। मार्च महीने के आवंटन से अप्रैल 2020 का वेतन भुगतान किया जाना था। इसका पालन अधिकांश जिलों में किया जा रहा है और कई जिले में कर दिया गया है लेकिन लखीसराय जिला में शिक्षा विभाग के स्थापना शाखा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एवं वहां के वरीय किरानी के द्वारा जिले के कुछ शिक्षकों का आर्थिक शोषण करते हुए लंबित बकाया वेतन का भुगतान कर दिया गया है। हड़ताली शिक्षक जो कि इस समय आर्थिक रूप से टूटे हुए हैं, उनपर कुठाराघात किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि आम शिक्षकों का स्थापना कार्यालय से कोई लेना-देना नहीं है।
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस