coronavirus Update: नोवल कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में अबतक 52 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं व 3 लाख 35 हजार लोगों की मृत्यु हुई है. दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना का उपचार तलाश कर रहे हैं. लेकिन कोई विशेष सफलता नहीं मिली है. हालांकि उपचार के ट्रायल जारी हैं. इसी कड़ी में हिंदुस्तान में कुछ समय पहले कोरोना के गंभीर मरीजों के उपचार में प्लाज्मा थेरैपी के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दी गई थी. जिसके तहत कुछ राज्यों में प्लाज्मा थेरैपी की मदद से कई मरीजों को बचाया गया था. वहीं, अब स्वास्थ्य महानिदेशालय (DGHC) ने कोविड-19 के उपचार में साइटोकाइन थेरैपी (Cytokine Therapy ) के ट्रायल को मंजूरी दे दी है. इस थेरैपी की खास बात यह है कि इसे कोरोना के शुरूआती दौर में ही मरीज को दिया जाता है जिससे वो कोरोना से गंभीर रूप से बीमार नहीं होता. इसे संक्रमण के छोटी लक्षणों के दौरान ही मरीज को दिया जा सकता है.
यहां मिली ट्रायल की इजाजत स्वास्थ्य महानिदेशालय ने कर्नाटक में बेंगलुरु के एचसीजी कैंसर हॉस्पिटल को न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 के तहत साइटोकाइन थेरैपी के ट्रायल की अनुमति दी है. दरअसल, कर्नाटक में कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों को सीमित करने के लिए स्वास्थ्य ऑफिसर बहुत ज्यादा समय से साइटोकाइन थेरैपी के जरिये उपचार करने की कवायद प्रारम्भ कर चुके थे. जिससे प्रदेश में मौतों में कमी देखी गई थी.
जून से होने कि सम्भावना है कोविड-19 मरीजों का इलाज इससे पहले इस अस्पताल को प्लाज्मा थेरैपी का प्रयोग कर मरीजों की जान बचाने की मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन इस वक्त प्रदेश में साइटोकाइन थेरैपी को लेकर सिर्फ सेफ्टी ट्रायल्स किए जा रहे हैं. इसका अभी पहला चरण ही चल रहा है अगर सभी चरण पास रहे तो इस साइटोकाइन थेरैपी को जून में मरीजों के उपचार के तौर पर पेश किया जा सकता है.
शुरूआती दौर है अहम इस साइटोकाइन थेरैपी में शुरूआती दौर में ही उपचार दिया जाना अहम है क्योंकि अगर मरीज को गंभीर होने के बाद इस साइटोकाइन थेरैपी को दिया जायेगा तो मरीज का इम्यून सिस्टम ओवरएक्टिव हो जाएगा, जिससे मरीज के अंगों में सूजन, निमोनिया या दूसरी परेशानियां हो सकती है इसलिए इसे आरंभ में ही प्रयोग किया जाएगा.
साइटोकाइन थेरैपी कैसे करेगी काम वैज्ञानिकों का बोलना है कि साइटोकाइन थेरैपी के जरिये उपचार में साइटोकाइंस को इंटरमस्क्युलर इंजेक्ट किया जाता है. कोरोना के मरीज को शुरूआती दौर में साइटोकाइन थेरैपी दी जाएगी. इससे मरीज के इम्यून सिस्टम को एक तरह का बूस्ट मिलेगा व वो संक्रमण के कारण सुस्त पड़ने के बाद साइटोकाइन थेरैपी पा कर फिर से एक्टिव हो जायेगा व कोरोना वायरस से लड़ने लगेगा.
साइटोकाइन थेरैपी मरीज के इम्यून को बीमारी के आगे पराजय मानने से पहले ही उसे व पॉवर दे देती है. जिससे मरीज का शरीर तेजी से वायरस के विरूद्ध लड़ने लगता है व रेस्पोंस देने लगता है.
बुजुर्गों पर सबसे पहले वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी तक सब अच्छा रहा है अगर आगे भी इसके सभी ट्रायल अच्छा रहे तो इसका जून से प्रयोग किया जा सकता है व इसका सबसे पहले प्रयोग बुजुर्गों पर किया जाएगा, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम रेस्पोंस जिस हिसाब से देगा उसी के अनुसार बाकी मरीजों पर फिर परीक्षण करके देखा जा सकेगा.