महिलाओं के मुकाबले पुरुष मास्क लगाना कम पसंद करते हैं. उनका मानना है कि यह कमजोरी की निशानी है. अमेरिका में 2500 लोगों पर कोरोना से जुड़े एकशोध में यह बात सामने आई है.
शोध में शामिल 8 प्रतिशत पुरुष व 5 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि वह जब भी बाहर जाएंगे तो मास्क नहीं लगाएंगे. पुरुषों सेऐसे जवाब तब मिले हैं जब आंकड़े व शोध, दोनों बता रहे हैं कि महिला से अधिक पुरुषों को कोरोनावायरस का खतरा है.
खुद को सुरक्षित मान रहे
5 कारण : स्त्रियों के मुकाबलेपुरुषों में संक्रमण के मुद्दे अधिक क्यों हैं
1. स्मोकिंग: यह फेफड़ों को बेकार करखतरा बढ़ाता है न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चाइना में कोरोना के कारण मरने वालों में 26 प्रतिशत धूम्रपान करने वाले थे. शोधकर्ताओं के मुताबिक, धूम्रपान करने में स्त्रियों के मुकाबले पुरुष आगे हैं. दुनियाभर के एक तिहाई धूम्रपान करने वाले लोग सिर्फ चाइना में हैं, जबकि यहां सिर्फ दो प्रतिशत महिलाएं ही स्मोकिंग करती हैं. ब्रिटेन में 16.5 प्रतिशत पुरुष व 13 प्रतिशत महिलाएं स्मोकर हैं. शोध के मुताबिक, सिगरेट पीने के दौरान, बार-बार हाथ मुंह के पास पहुंचता है, इसलिए खतरा व भी ज्यादा है.
आरएमएल हॉस्पिटल, नयी दिल्ली के विशेषज्ञ डाक्टर एके वार्ष्णेय के मुताबिक, कोरोनावायरस का संक्रमण सिगरेट के धुएं से नहीं फैलता है, लेकिन धुआं फेफड़ों को बेकार करता है. अगर कोई ज्यादा सिगरेट पीता है तो उसकेफेफड़े निर्बल हो जाते हैंऔर ऐसे लोगों को वायरस के संक्रमण का खतरा भीज्यादा होता है. जो इंसान किसी भी तरह का धूम्रपान करते हैं, उनमे संक्रमण जल्दी फैलने का खतरा है.
2. निर्बल इम्यून सिस्टम : फीमेल हार्मोन ज्यादा ताकतवर अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी के मुताबिक, कोरोना से लड़ने ने स्त्रियों की इम्युनिटी बेहतर है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, स्त्रियों में रिलीज होने वाले संभोग हार्मोन एस्ट्रोजन शरीर की कोशिकाओं वायरस से लड़ने के लिए एक्टिवेट करते हैं. जबकि पुरुषों में संभोग हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन का प्रभाव उल्टा होता है. एक्स क्रोमोसोम्स में इम्यून जीन्स (TLR7) उपस्थित होते हैं जिन्हें आरएनए वायरस ढूंढ लेते हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट प्रो। फिलीप गोल्डर के मुताबिक, स्त्रियों के शरीर में बीमारियों से लड़ने के लिए रिस्पॉन्स तेज होता है इसलिए उनका इम्यून सिस्टम ताकतवरबनता चला जाता है व रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक हो जाती है.
3.लाइफस्टाइल डिसीज : सार्स के समय भी 50 प्रतिशत अधिक पुरुषों की मृत्यु हुई थी एन्नल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, पुरुषों में लाइफस्टाइल डिसीज जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के मुद्दे स्त्रियों से ज्यादा होते हैं. ये बीमारियां कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ाती हैं. शोध के मुताबिक, 2003 में सार्स के संक्रमण के दौरान हॉन्ग-कॉन्ग में सबसे ज्यादा महिलाएं संक्रमित हुई थीं लेकिन फिर भी पुरुषों की मृत्यु का आंकड़ा 50 प्रतिशत तक अधिक था. मर्स महामारी के दौरान भी संक्रमण से पुरुषों की मृत्यु का आंकड़ा 32 प्रतिशत था. स्त्रियों में यह आंकड़ा 25.8 प्रतिशत था. दुनिया स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, महिलाएं पुरुषों से 6 से 8 वर्ष अधिक जीती हैं.
4. ACE2 प्रोटीन: यहपुरुषों में अधिक पाया जाता है जब कोरोनावायरस शरीर में पहुंचता है तो ऐसी कोशिकाओं से जुड़ता है जो ACE2 प्रोटीन रिलीज करती हैं. आमतौर पर प्रोटीन फेफड़ों, दिल व आंतों में पाया जाता है लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मात्रा टेस्टिस (वृषण-वीर्य कोष) में पाई जाती है. जबकि स्त्रियों की ओवरी (अंडाशय) में यह बेहद कम मात्रा में पाया जाता है.
5. हाइजीन: पुरुष व्यक्तिगत हाइजीन-हाथ धोने में पीछे
महामारी से निपटने के लिए दुनियाभर के विशेषज्ञों ने साफ-सफाई बरतने के साथ बार-बार हाथ धोते रहने की सलाह दी थी. विशेषज्ञों का बोलना है कि स्त्रियों के मुकाबले बार-बार हाथ धोने में पुरुष लापरवाह नजर आतेहैं. इसीलिए संक्रमण के मुद्दे अधिक सामने आने की एक वजह ये भी है. जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक यूनिहिरो मैत्सुहिता के मुताबिक-सफाई बरतने के मुद्दे में, खासकर हाथों को धोने मेंपुरुष स्त्रियों सेपीछे हैं.