कोसी और पूर्णिया प्रमंडल के कोरोना मरीजों के उपचार में प्रयोग हो रही मलेरिया की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) दवा बेहद प्रभावकारी साबित हो रही है. इन जिलों से आए 63 कोरोना पॉजिटिव और 349 संदिग्ध मरीजों के उपचार में लगे डॉक्टर, नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ को जब यह दवा दी गयी तो आश्चर्यजनक परिणाम आए.
इससे न केवल इन लोगों की रोग प्रतिरोक्षक क्षमता में वृद्धि हुई, बल्कि इस दवा के सेवन से मरीजों में कोई साइड इफेक्ट (दुष्प्रभाव) भी नहीं पाया गया.
डब्ल्यूएचओ इंडिया में 10 वर्ष तक कार्य करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर राजकमल चौधरी ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के आइसोलेशन वार्ड में अबतक 63 कोरोना के मरीज भर्ती हुए. ये मरीज भागलपुर, पूर्णिया, बांका, बेगूसराय, मुंगेर, सहरसा आदि जिलों के थे.
कोरोना पॉजिटिव मरीजों को पहले हफ्ते में एचसीक्यू 400 एमजी की गोली दिन में दो बार दी गयी. अगले हफ्ते दवा की डोज घटाकर दिन में एक बार कर दी गयी. इस दवा ने कोरोना मरीजों पर आश्चर्यजनक रूप से कार्य किया. ये मरीज 12 से 13 दिनों में न केवल पूरी तरह से स्वस्थ हुए, बल्कि इनका एक्सरे, इसीजी, पैथोलॉजी जाँच और बीपी भी सामान्य रहा.
इसके अतिरिक्त वार्ड में बने फ्लू कॉर्नर में कोरोना स्क्रीनिंग के लिए आये 349 संदिग्धों को एचसीक्यू की दवा दी गयी. दवा खाने वाले लोगों में से एक भी मरीज न तो कोरोना पॉजिटिव निकला व न ही एक भी मरीज ने दवा खाने के दौरान किसी प्रकार की तकलीफ होने की शिकायत की.
इलाज में लगे चिकित्सक को भी दी गयी थी दवा- इसके अतिरिक्त आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी करने वाले करीब एक दर्जन चिकित्सक को भी ये दवा कोरोना मरीजों के डोज के अनुसार दी गई. इसका परिणाम यह हुआ कि कोरोना संक्रमित वार्ड में मरीजों के उपचार में घंटों समय बिताने के बावजूद एक भी डॉक्टर कोरोना की जद में नहीं आए.
14 मई को आइसीएमआर दिल्ली को भेजी गयी रिपोर्ट- डाक्टर राजकमल चौधरी ने बताया कि कोरोना मरीजों एवं संदिग्धों मरीजों को दी गयी दवा, तथ्य आदि से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट 14 मई को आईसीएमआर, दिल्ली को भेज दी है. वहां पर आईसीएमआर इस रिपोर्ट का अध्ययन करेगा. पूरी उम्मीद है कि यह रिपोर्ट कोरोना मरीजों के उपचार में मील का पत्थर साबित होगा व कोरोना उन्मूलन में सहायक किरदार अदा करेगी.