मधेपुरा। जिले के घैलाढ़ प्रखंड स्थित वैदिक कालीन से लेकर उत्तर गुप्त काल तक के अवशेषों वाले श्रीनगर और झिटकिया को पुरातत्व स्थल के रूप में चिह्नित करते हुए पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है।
इस संबंध में उदाकिशुनगंज के भूमि सुधार उप समाहर्ता ललित कुमार सिंह ने पटना सर्किल के अधीक्षक को पत्र लिखा है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि मधेपुरा जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित घैलाढ़ प्रखंड के गांव श्रीनगर और झिटकिया स्थापत्य कला का जीता जागता उदाहरण है, जहां काफी संख्या में वैदिक काल से लेकर उत्तर गुप्त काल तक के विभिन्न देवी-देवताओं की काले बैसाल्ट पत्थर से निíमत मूíतयां आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। गुप्तकालीन शिव मंदिर, दो जबड़ों का बना घड़ियाल, अति प्राचीन तालाब, उमा महेश्वर की अद्वितीय प्रतिमा, देवनागरी लिपि में लिखित शिलापट, कुंआ, देवमनी, मातृदेवी, कुत्ता, बाघ, मछली, पत्थर की पीढि़यां, शिकार को मार कर ले जाता शिकारी जैसे कलाकृतियों की मौजूदगी सालों भर लोगों को आकर्षित करती है।
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विदित हो कि मधेपुरा जिला मुख्यालय से मात्र सात किलोमीटर उत्तर में स्थित बाबा सिंहेश्वर स्थान मंदिर सालों भर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यदि उपरोक्त श्रीनगर व झिटिकिया को भारतीय पुरातत्व स्थल घोषित कर इनको विकसित किया जाता है तो यह भी पर्यटकों के लिए खासकर कोसी क्षेत्र के लिए अद्वितीय पर्यटन स्थल होगा। जहां पर्यटन के साथ-साथ इतिहास विषय पर शोध का कार्य किया जा सकता है। उसके संबंध में घैलाढ़ के तत्कालीन अंचलाधिकारी व पुरातत्व विषय के जानकार सतीश कुमार व स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता व इंजीनियर नवीन कुमार ने उपरोक्त स्थल के संबंध में विस्तृत अध्ययन भी किए हैं। यदि भूमि सुधार उपसमाहर्ता ललित का प्रयास सफल रहा तो घैलाढ़ इलाका रोशन होगा।
Posted By: Jagran
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