दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, इस बीच महामारी पर अध्ययन भी जारी है. मेडिकल जर्नल रेडियोलॉजी में भी इस महामारी के बारे में लगातार जानकारी प्रकाशित हो रही है.
ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस व खून के थक्के जमने का कोई संबंध होने कि सम्भावना है. भिन्न-भिन्न रिपोर्ट टीम ने बताया है कि बड़ी संख्या में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों में खून का थक्का जमने की स्थिति पाई गई है. कोरोना वायरस से बड़ी संख्या में लोगों के मरने के पीछे एक कारण यह भी होने कि सम्भावना है.
रेडियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार, कोविड-9 का शिकार होने वालों में निमोनिया, श्वास रुकना व इसके कारण जरूरी अंगों का कार्य बंद कर देना मृत्यु के कारण रहे हैं. इसमें मरीज की आयु व शरीर में पहले उपस्थित बीमारियां भी अहम किरदार निभाती हैं. वहीं बड़ी संख्या में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजो की मृत्यु के पीछे खून का थक्का जमने का कारण भी पता चला है.जानिए क्या है ब्लड क्लॉटिंग खून का थक्का जमने को डॉक्टरी भाषा ब्लड क्लॉटिंग बोला जाता है. ब्लड क्लॉट यानी खून का थक्का बनना अच्छा माना जाता है, क्योंकि चोट लगने पर इसकी वजह से ही खून का बहना रुकता है. लेकिन जब यही क्लॉट शरीर के अंदर बनता है व इसे बाहर निकलने की स्थान नहीं मिलती है, तो यह जानलेवा साबित होने कि सम्भावना है. यह शरीर में रक्त के प्रवाह को बाधित करता है जो जानलेवा हो जाता है. (जब चोट लगने पर खून का थक्का नहीं जम पाता है, तो इसे हीमोफीलिया बीमारी भी बोला जाता है.)www.myupchar.com से जु़ड़े डाक्टर आयुष पांडे के अनुसार, शरीर में उपस्थित विशेष प्रकार के प्रोटीन के कारण खून जमता या रुकता है. कई मामलों में इसके पीछे वंशानुगत कारण भी होते हैं. ब्लड क्लॉट की स्थिति में शरीर में कई समस्याएं हो सकती हैं. ब्लड क्लॉट से हार्ट अटैक, पैरालिसिस होने का खतरा बढ़ जाता है.कोरोना वायरस के उपचार में व मुश्किल www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डाक्टर अजय मोहन के अनुसार, संसार में अभी कोरोना वायरस का उपचार नहीं मिला है. अभी चिकित्सक लक्षणों का उपचार कर रहे हैं जैसे सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, गले में दर्द व श्वास संबंधी समस्या के लिए भिन्न-भिन्न दवाएं दी जा रही हैं.यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के वैज्ञानिकों का बोलना है कि खून का थक्का जमने के लक्षण भी कोरोना वायरस के दौरान नजर आते हैं, तो इससे उपचार कठिन होगा. इनका मानना है कि वायरस इन्फेक्शन का प्रभाव ब्लड क्लॉटिंग पर होने कि सम्भावना है. खून के जरिए ये ब्लड क्लॉट्स फेफड़ों तक जा सकते हैं, दशा को व कठिन बना सकते हैं. हालांकि, इन वैज्ञानिकों का यह भी बोलना है कि यह बहुत शुरुआती रिपोर्टस् हैं. अभी कुछ ही मरीजों पर इसका अध्ययन किया गया है. साथ ही डॉक्टरों से बोला गया है कि कोरोना संक्रमण के संदिग्धों में डी-डिमेर लेवल की जाँच भी की जाए. यदि खून के थक्के जमने की संभावना नजर आए तो समय रहते मरीज को उपचार दिया जाए.