International Midwives Day: बिना सैलरी महिलाओं की डिलीवरी करवाती हैं दाईं

आज अंतर्राष्ट्रीय दाई दिवस (International Midwives Day) है। एक गर्भवती को महिला डिलीवरी (प्रसव) के वक्त मदद की जरूरत पड़ती है। आज हॉस्पिटल में प्रशिक्षित नर्सेंज इस काम में मदद करती हैं। वहीं पहले के समय गर्भवती महिला की डिलीवरी कराने का काम दाई ही किया करती थीं।

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने भी अपने इंस्टाग्राम पर निष्टा से अपना काम करने वाली सभी नर्सेज व दाइयों को धन्यवाद कहा।

भले ही देश ने काफी तरक्की कर ली हो लेकिन आज भी ऐसे गांव और कस्बें हैं, जहां अस्पताल और जरूरी सुविधाएं नहीं है। यही नहीं, इन महिलाओं को सैलेरी भी नहीं जा जाती और ना ही प्रसव के लिए यह कोई ज्यादा मांग करती है। मगर, यह अपने काम को लेकर कभी भी बेईमानी नहीं करती।

आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो छोटे-छोटे गांवों व शहरी विकास की छाया से भी दूर के इलाकों में काम कर रही हैं। इन्हीं महिलाओं के सम्मान के लिए दुनियाभर में 5 मई को International Day of the Midwife मनाया जाता है।

यूनिसेफ के अनुसार, भारत में हर दिन लगभग 1600 महिलाओं की मौत डिलीवरी के दौरान हो जाती है। इनमें से ज्यादातर मौतें सुदूर गांवों में रहने वाली उन गरीब महिलाओं की होती है, जिन तक सही समय पर सुविधाएं नहीं पहुंच पाती हैं। गर्भवती महिला को ऐसी स्थिति में संभालना, जब डिलीवरी होने वाली हो, आसान नहीं है। ऐसे में दाईंयों का काम वाकई सहारनीय है।

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