हालांकि कुछ मामलों में 10 दिन कम होते हैं लेकिन अगर सही प्रेगनेंसी किट हो तो एचसीजी के स्तर का पता चल जाता है। हालांकि कुछ सामान्य लक्षण जैसे कि- थकान, उल्टी आना, चेहरे पर सूजन, माहवारी का अनियमित होना, पीठ में दर्द होना, चक्कर आना भी हो सकते हैं। लेकिन महिला गर्भवती है या नहीं यह प्रेगनेंसी किट के जरिए इस बात की पुष्टि हो जाती है।
क्या है एचसीजी हॉर्मोन – एचसीजी नामक हार्मोन शरीर में तभी विकसित होते हैं जब गर्भ में भ्रूण का प्रत्यारोपण होता है। यह क्रिया आम तौर पर निषेचन के एक या दो हफ्ते बाद होती है। जल्दी गर्भावधि विकास के दौरान एचसीजी स्तर में निरंतर वृद्धि होना प्रेगनेंसी का लक्षण है।महिला के गर्भवती होने पर उसकेयूरीन व खून में एचसीजी की मात्रा पाई जाती है जिसके जरिए पता चलता है कि वह गर्भवती है।
गलत भी हो सकती है किट-
महिलाएं मां बनने की खुशी में अक्सर जल्दबाजी में प्रेगनेंसी टेस्ट किट का प्रयोग करती हैं जिसके कारण ईपीटी टेस्ट किट सही जानकारी नहीं दे पाता है और टेस्ट निगेटिव आता है। इसलिए इस पर आंख बंद कर के भी भरोसा न करें। इस स्थिति में आप किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें या फिर दोबारा फिर से करीब 72 घंटे के बाद टेस्ट कर लीजिए। गर्भवती होने के लगभग दस दिन बाद प्रेगनेंसी किट का प्रयोग किया जाए तो परिणाम सटीक होते हैं। कभी-कभी गर्भावस्था जांच किट भी सही परिणाम नहीं दे पाती है जिसके कारण गलत परिणाम निकल सकते हैं।
किट में होनी चाहिए ये चीज – आमतौर पर सस्ता किट कभी-कभी गलत जानकारी भी देता है। इसलिए प्रेगनेंसी जांच किट को खरीदते समय उसकी क्षमता को नजरअंदाज न करें। अगर आपको किट खरीदने में कोई दिक्कत हो तो चिकित्सक से परामर्श जरूर ले लीजिए।
कब करें गर्भावस्था की जांच # प्रेग्नेंसी डिटेक्शन किट का प्रयोग दिन भर में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन सुबह के समय टेस्ट करना अच्छा रहता है इसे परिणामों के गलत होने की संभावना कम होती है। # प्रेग्नेंसी टेस्ट के पहले कोई भी पेय पदार्थ नहीं लेना चाहिए इससे एचसीजी के स्तर असर हो सकता है।