भारत के ह्रदय राज्य में स्थित छतरपुर एक पुराना शहर है, जो 1785 के दौरान अस्तित्व में आया। इस शहर का नाम यहां के राजपुत राजा छत्रसाल के नाम पर पड़ा। छत्रसाल एक प्रतापी राजा थे जिन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब को युद्ध में हराकर बुंदेलखंड में अपना साम्राज्य स्थापित किया। प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से छतरपुर काफी ज्यादा मायने रखता है। यह राज्य के उन चुनिंदा खास स्थलों में गिना जाता है, जहां की यात्रा करना सैलानियों को बहुत ही ज्यादा पसंद है। इस लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से छतरपुर आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है। रानेह जलप्रपात छतरपुर भ्रमण की शुरूआत आप यहां नजदीक स्थित रानेह जलप्रपात से कर सकते हैं। अपनी आकर्षक भौगोलिक संरचना के साथ यह सैलानियों को काफी ज्यादा प्रभावित करने का काम करता है। यह झरना तब बनता है जब केन नदी यहां की चट्टानों से गिरती है। यहा छोटे और बड़े दोनों की प्रकार के जलप्रपात मौजूद हैं, जो अपनी अद्भत सौंदर्यता के लिए जाने जाते हैं। परिवार के साथ एक शानदार समय बिताने के लिए यह स्थान एक आदर्श विकल्प है। यहां आकर आप प्रकृती के बेहद करीब महसूस करेंगे। तमिलनाडु के वन्यजीव अभ्यारण्य: एडवेंचर का लें मज़ा डिगलीपुर में क्या करें - अंडमान की जन्नटत है डिगलीपुर केन घड़ियाल अभयारण्य रानेह जलप्रपात के नजदीक आप यहां के एक आकर्षक स्थल केन घड़ियाल अभयारण्य की रोमांचक सैर का आनंद ले सकते हैं। घड़ियालों के साथ यह अभयारण्य अन्य कई जंगली जीवों का घर माना जाता है। इसके अलावा यहां पक्षी विहार का भी आनंद लिया जा सकता है। पक्षी प्रजातियों में आप यहां कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को भी देख सकते हैं। केन घड़ियाल अभयारण्य घने जंगलों और जलाशयों में भरा है, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नही है। वीकेंड पर रोमांचक अनुभव लेने के लिए आप यहां की सैर का आनंद ले सकते हैं। मतंगेश्वर मंदिर प्राकृतिक स्थलों के अलावा आप यहां के धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सकते हैं। मतंगेश्वर मंदिर यहां के प्रसिद्ध पवित्र स्थलों में गिना जाता है, जहां रोजाना श्रद्धालुओं का अच्छा खासा जमावड़ा लगता है। यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण लगभग 1100 साल पहले हुआ था। चूंकि यह एक ऐतिहासिक धरोहर है इसलिए वर्तमान में इस मंदिर को पुरातात्विक संग्रहालय में तब्दील कर दिया है, जहां कई प्राचीन मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी। मतंगेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि संत मतंग खुद भगवान शिव थे, इसलिए इस मंदिर का नाम मतंगेश्वर पड़ा। यह स्थल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दोनों रूप से मायने रखता है। अध्यात्म में सराबोर होने के लिए करें देवघर की यात्रा आंध्र प्रदेश का चित्तूर रखता है ऐतिहासिक महत्व महाराजा छत्रसाल म्यूजियम यहां के प्रसिद्ध दार्शनीय स्थलों में आप यहां स्थित महाराजा छत्रसाल म्यूजियम की सैर का आनंद ले सकते हैं। यह एक खास स्थान है जो ऐतिहासिक और धार्मिक प्रतिकों को प्रदर्शित करता है। यह संग्रहालय महाराजा छत्रसाल के महल के अंदर स्थित है, इस महल को सन् 1955 में बनवाया गया था, और आज भी इसकी वास्तुकला देखने लायक है। इस संग्रहालय में आप गुप्त और कलचुरी साम्राज्य से जुड़ी वस्तुओं को देख सकते हैं। इसके अलावा यहां बुंदेला राजाओं क वस्त्रों और हथियारों को भी देख सकते हैं। छतरपुर हनुमान टोरिया मंदिर उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां प्रसिद्ध मंदिर छतरपुर हनुमान टोरिया के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर भगवान राम और माता सीता, भगवान शिव और भगवान हनुमान को समर्पित है। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है बल्कि एक टूरिस्ट प्लेस भी है, जहां की प्राकृतिक खूबसूरती को देखने के लिए यहां दूर-दूर से सैलानी आत भी आते हैं। आत्मिक और मानसिक शांति के लिए आप इस स्थल की सैर कर सकते हैं।