जो लोग हर समय खुद को थका हुआ, निराशा और उलझन से भरा हुआ महसूस करते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि वे बर्नआउट का शिकार हो चुके हैं। यह एक तरह का सिंड्रोम है और इसका संबंध हार्ट रिद्म से भी होता है। यह बात हाल ही एक स्टडी में सामने आई है। ऐसे लोग हर समय एनर्जी की कमी महसूस करते हैं..
बर्नआउट की वजह
वाइटल एग्जॉशन, जिसे आमतौर पर बर्नआउट सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। यह लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने के कारण होता है। जो लोग वर्क प्लेस और घर में किसी ना किसी कारण लंबे समय तक तनाव का सामना करते हैं, उन्हें इस तरह की दिक्कत हो जाती है।
डिप्रेशन से अलग होता है
बर्नआउट और डिप्रेशन में अंतर होता है। जो लोग डिप्रेशन में होते हैं, उनका मूड हर समय लो रहता है। इनमें आत्मविश्वास की कमी होती है और ये किसी तरह के गिल्ट से भरे होते हैं। जबकि बर्नआउट के शिकार लोगों में चिड़चिड़ापन और थकान अधिक देखने को मिलती है।
ऐसे बनती है स्थिति
रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि बर्नआउट की यह स्थिति ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिलती है, जो एग्जॉशन का लंबे समय तक शिकार रहते हैं। यह कहना है यूएस की साउथर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी द्वारा की गई इस रिसर्च के ऑर्थर परवीन के गर्ग का।
दिल की धड़कनों पर असर
स्टडी में साफ हुआ है कि बहुत अधिक थकान, शरीर में सूजन और सायकॉलजिकल तनाव का बढ़ना एक दूसरे से लिंक है। जब यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो हार्ट टिश्यूज को डैमेज करने के का काम करती है। इसी कारण अरिद्मिया की स्थिति बनने लगती है और दिल की धड़कने कभी कम और कभी ज्यादा होती रहती हैं।
दिल की बीमारी का खतरा
एट्रियल फिब्रिलेशन यानी एएफ को अरिद्मिया के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में हार्ट बीट्स रेग्युलर तरीके से काम नहीं पाती हैं और ब्लड क्लॉट्स, हार्ट फेल्यॉर और दिल संबंधी दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इस खतरे की दर को अभी मापा नहीं जा सका है|
एग्जॉशन से बढ़ती दिल की बीमारी
यह बात पूर्व में हुई कई स्टडीज में साफ हो चुकी है कि जरूरत से अधिक थकान और एग्जॉशन के कारण कार्डियॉवस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इसमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी शामिल है। गर्ग का कहना है कि अगर एग्जॉशन से बचने और तनाव को डील करने का तरीका जान लिया जाए तो दिल से जुड़ी कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
यहां हुई पब्लिश
बर्नआउट और हार्ट डिजीज के बीच संबंध की कड़ी पर आधारित इस रिसर्च को हाल ही यूरोपिनयन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियॉलजी में पब्लिश किया गया है। यह स्टडी 25 साल तक चली और इसमें 11 हजार लोगों को शामिल किया गया। इन लोगों में बहुत अधिक थकान, गुस्सा, ऐंटीडिप्रेशन डोज लेनेवाले और ऐसे लोगों को शामिल किया गया जिनके पास सोशल सपॉर्ट की कमी थी।