अपनी आकर्षक संरचना के लिए प्रसिद्द है मध्यप्रदेश का हाथीमहल

अगर आप 'हाथी महल' देखना चाहते हैं तो आपको दिल्ली से 897 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। तब जाकर आप मध्यप्रदेश के पुराने शहर मांडू पहुंचेंगे। यहां आपको इंडो-इस्लामिक वास्तुशैली में बना हाथी महल देखने को मिलेगा। हाथी महल, मांडू का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। वैसे तो माडू में कई प्राचीन इमारते और खंडहर मौजूद हैं लेकिन हाथी महल की लोकप्रियता की बात ही कुछ और है।भारत में मध्य प्रदेश राज्य के धार जिले में स्थित मांडू शहर का हाथी महल सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। एलीफेंट पैलेस मालवा से संबंधित है एवं यह महल अपनी शानदार इमारत और महल की विशाल संरचना के लिए काफी प्रसिद्ध है।


कैसे पहुचें वायु मार्ग द्वारा: इसका हवाई अड्डा निश्चित रूप से इंदौर में है जो कि लगभग 99 किमी दूर है। यहां पर इंदौर, दिल्ली, मुंबई, ग्वालियर के साथ-साथ भोपाल जैसे शहरों से फ्लाइटें आती हैं। रेल मार्ग द्वारा: इसका नजदीकी रेलवे स्टेंशन रतलाम है। इस रेलवे स्टे,शन पर सभी प्रमुख शहरों से नियमिन ट्रेनें आती हैं। सड़क मार्ग द्वारा: सड़क मार्ग की बात करें तो मांडू अन्य शहरों से अच्छीस तरह से जुड़ा हुआ है। यह उज्जैन से 154 किमी, धार से लगभग 35 किमी और भोपाल से लगभग 285 किमी दूर है। मांडू बस स्टॉप से हाथी महल सिर्फ 2 किमी दूर है।

वास्तुकला हाथी महल' में अनेक विशाल स्तंभ हैं और इसी वजह से इस महल का ये नाम रखा गया है। इंडो-इस्लामिक स्थापत्य शैली में बना ये महल समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भव्य पत्थ।र से मंदिर की संरचना की है। इस महल को शाही आवास के लिए बनाया गया था लेकिन बाद में इसे एक सुंदर मकबरे में बदल दिया गया। इस महल के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में कुछ कब्रें देख सकते हैं। इस्लामी शैली में बनी खूबसूरत मस्जिद को भी आप यहां देख सकते हैं। इस महल का सबसे शानदार हिस्सा हाथी पैलेस के बीच में इसका भव्य गुंबद है। महल के अंदर जो विशालकाय खंभे हैं उन्हींे की वजह से विशाल गुंबद पूरी तरह से संतुलित खड़ा है। इस प्रकार वास्तु की दृष्टि से इसका बहुत महत्व है। हाथी महल अत्यंंत भव्यज और इसे बनाने वाले कारीगर भी बहुत उत्कृसष्टत रहे होंगे।
इतिहास इस ऐतिहासिक और संस्कृंति से समृद्ध स्थारन को तारंग साम्राज्य द्वारा बनवाया गया था। यह महल अंततः 16वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया था। हालांकि, यह 12वीं शताब्दी से मुगलों और खिलजी शासकों के आक्रामक नियंत्रण के अधीन था और औपनिवेशिक युग तक उनके ही अधीन रहा था। हालांकि, तरांग साम्राज्यम का अधिक समय तक इस पर शासन नहीं रहा था। 18वीं सदी तक यह महल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका था। अब ये जगह दरिया खान के मकबरे के रूप में स्थापित है। इस महल में ये मकबरा काफी महत्वेपूर्ण हो गया है एवं इसका लाल रंग दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।जाने का समय- आप किसी भी समय इस महल के दर्शन करने आ सकते हैं। हालांकि, सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय सबसे ठीक रहता है। एंट्री फीस हाथी महल में प्रवेश पूरी तरह से फ्री है। इस पूरे महल को देखने में 1 से 1.5 घंटे का समय लगता है।

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