दूध पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है, लेकिन इसे कैसे व किस ढंग से पी रहे हैं ये भी अर्थ रखता है। हाल ही के शोध (Research) में सामने आया है कि कच्चा या बिना पॉश्चराइज्ड दूध (Milk) अगर कमरे के तापमान में छोड़ दिया
जाए तो उसमें हानिकारक बैक्टीरिया (Bacteria) पैदा हो सकते हैं। माइक्रोबायोम जर्नल (Microbiome Journal) में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया है कि दूध में रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीन होते हैं, लेकिन कच्चे दूध को लंबे समय तक गर्म न किया जाए या कमरे के तापमान पर रखा जाए तो इसमें हानिकारक बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं। ऐसे दूध का सेवन करने पर इंसान बीमारी का शिकार होने कि सम्भावना है। myUpchar से जुड़े डाक्टर लक्ष्मीदत्ता शुक्ला का बोलना है कि कच्चे दूध को पॉश्चराइज्ड या होमोजेनाइज्ड नहीं किया जाता। (दुकानों में जो हमें पैकेट में दूध मिलता है, उसी को पॉश्चराइज्ड या होमोजिनाइज्ड मिल्क कहते हैं) कच्चा दूध मुख्य रूप से गाय, बकरी, भैंस व ऊंट से मिलता है। कच्चे दूध में कई पोषक तत्व व एंजाइम होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता (बीमारियों से लड़ने की ताकत) को बढ़ाने में सहायता करते हैं, एलर्जी को कम करते हैं व यह दूध सरलता से पच भी जाता है। पॉइश्चराइजेशन तत्वों को बनाए रखते हुए दूध को सुरक्षित रखा जाता है। इस प्रक्रिया में दूध को गर्म किया जाता है ताकि हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर दूध को लंबे समय तक उपयोग किया जा सके, लेकिन शोध के मुताबिक कच्चे दूध को कमरे के तापमान में रखना व फिर पीना बीमारियों को न्योता देना है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का बोलना है कि अगर कच्चा दूध पीना है तो बेहतर होगा कि इसे फ्रिज में रखें। इसकी वजह यह है कि ऐसा करने से एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी जीन के साथ बैक्टीरिया विकसित होने का खतरा कम होता है। कच्चे दूध में अक्सर पॉश्चराइज्ड दूध की तुलना में ज्यादा प्रोबायोटिक्स या स्वस्थ बैक्टीरिया पाए जाने की बात कही जाती है, लेकिन शोधकर्ताओं ने ऐसा नहीं पाया। शोधकर्ताओं के मुताबिक उन्हें दो चीजों ने दंग किया। उन्हें कच्चे दूध के नमूनों में बड़ी मात्रा में फायदेमंद बैक्टीरिया नहीं मिले। उन्होंने यह भी देखा कि अगर कच्चे दूध को कमरे के तापमान पर छोड़ देते हैं, तो पॉश्चराइज्ड दूध की तुलना में इसमें ज्यादा रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीन बनते हैं। रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीन वाले बैक्टीरिया में 'सुपरबग्स' बनने की क्षमता होती है व इस संक्रमण या बीमारी के उपचार के लिए दवाएं भी तत्काल कार्य नहीं करती हैं। यूएस सेंटर्स फॉर डिसऑर्डर कंट्रोल के अनुसार हर वर्ष लगभग 30 लाख लोगों में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमण मिलता है व 35,000 से अधिक लोग मर जाते हैं।- इस शोध के लिए टीम ने पांच राज्यों के दूध के 200 नमूनों का विश्लेषण किया, जिसमें कच्चा दूध व पॉश्चराइज्ड दूध शामिल था। अध्ययन में पाया गया कि कमरे के तापमान पर रखे गए कच्चे दूध में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी रोगाणुओं का प्रसार ज्यादा था। myUpchar से जुड़े डाक्टर लक्ष्मीदत्ता शुक्ला के अनुसार कच्चे दूध का ठीक ढंग से प्रयोग किया जाए तो इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल किया जा सकता है। यह पेट व हड्डियों के लिए बेहद लाभकारी है। स्कीन को भी खूबसूरत बनाता है।