10 प्रतिशत गर्भावस्थाओं में उच्च रक्तचाप संबंधी होते विकार, पढ़े

जिन स्त्रियों को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या होती है उनमें आगे चलकर दिल से संबंधित रोग व दिल की रुकने का जोखिम बढ़ जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. दुनियाभर में 10 प्रतिशत गर्भावस्थाओं में उच्च रक्तचाप संबंधी विकार होते हैं.
पश्चिमी राष्ट्रों में 6 प्रतिशत गर्भावस्थाओं के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या देखने को मिलती है. ज्यादातर मामलों में प्रसव के बाद रक्तचाप सामान्य हो जाता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज द्वारा किए गए शोध में 21 पूर्व शोधों का विश्लेषण किया गया. इन शोधों में कुल 36 लाख स्त्रियों पर अध्ययन किया गया था. इनमें से 128,000 स्त्रियों को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या थी.
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन स्त्रियों ने अपनी पहली गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप का अनुभव किया था, उनमें समग्र दिल रोग का 45 फीसदी अधिक जोखिम था व कोरोनरी दिल रोग का 46 फीसदी अधिक जोखिम था.
उच्च रक्तचाप से प्रभावित एक या अधिक गर्भधारण करने वाली स्त्रियों में दिल रोग का खतरा 81 फीसदी अधिक, कोरोनरी दिल रोग का खतरा 83 फीसदी अधिक व दिल गति रुकने का खतरा 77 फीसदी अधिक होता है.
प्रमुख शोधकर्ता चिकित्सक क्लारे ओलिवर विलियम्स ने कहा, जब हमने पूर्व में उपस्थित शोधों को देखा तो पाया कि जिन स्त्रियों को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या होती है उनमें कई तरह की दिल संबंधी बीमारियां हो सकती है.
शोध के अनुसार गर्भपात, समय से पूर्व प्रसव, भ्रूण का अच्छा से विकसित न होने जैसी समस्याओं के कारण भी स्त्रियों में हृदयरोगों को खतरा बढ़ता है. चिकित्सक क्लारे ने कहा, छोटे सकारात्मक बदलावों से मदद मिल सकती है.
गर्भावस्था के दौरान ज्यादा से ज्यादा फल व सब्जियां खाना, प्रतिदिन एक्सरसाइज़ करना व बच्चों के साथ अच्छा समय बिताने से उच्च रक्तचाप की समस्या को घटाया जा सकता है.

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