अगर आपकी डायबिटीज का गलत तरीके से उपचार होता है, तो इसके आपके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं. ऐसे में अगर आप पुरानी बीमारियों के परिणाम देखें तो यह चिंताजनक हैं, इससे इंसान को आजीवन उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है.
जब किसी इंसान की डायबिटीज का गलत तरीके से इलाज कर दिया जाता है तो उदाहरण जिन्हें टाइप -2 डायबिटीज है मगर उन्हें टाइप -1 का उपचार मिल रहा है. यह एक बहुत छोटी सी गलती लग सकती है परंतु यह एक इंसान के लिए जानलेवा साबित हो सकता है, तो आइए आज हम आपको डायबिटीज के गलत तरीके से होने वाले हेल्थ नुकसान के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.डायबिटीज के प्रकारटाइप-1 यह इंसुलिन प्रतिरोध की कमी की वजह से होता है, जबकि टाइप -2 डायबिटीज इंसुलिन पर प्रतिक्रिया करने में शरीर की अक्षमता की वजह से होता है. यह ज्यादातर उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और बीएमआई के आधार पर विभिन्न सेटों में होता है. परंपरागत रूप से, टाइप -1 डायबिटीज प्रारंभिक वर्षों में होती है जैसे बच्चों को.टाइप -2 डायबिटीज बाद के वर्षों यानि कि 45 वर्ष और इससे अधिक की उम्र में होती है. मगर ये पैटर्न अब विपरीत होता नजर आ रहा है क्योंकि बहुत से बच्चों को टाइप -2 और वयस्कों में टाइप -1 के मामले सामने आ रहे हैं. यह स्थति वास्तव में खतरनाक है और इलाज के लिए भ्रामक है.
क्या कहती है स्टडी?एक अध्ययन के अनुसार 500 से अधिक लोगों के अनुभवों को दर्ज किया और पता चला कि उनमें से लगभग 40% को गलत इलाज प्राप्त हुआ. उनमें मधुमेह का गलत इलाज और उपचार दिया गया था. गलत तरीके से डायबिटीज कर उपचार किसी भी इंसान की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. ऐसे में डायबिटीज को नियंत्रित करने के अलावा उनमें डायबिटिक केटोएसिडोसिस की समस्या हो सकती है.
डायबिटीज के गलत इलाज से डायबिटिक केटोएसिडोसिस हो सकता हैइस शोध के अनुसार 'सही तरीके से डायबिटीज टाइप- 2 या डायबिटीज टाइप- 1 का इलाज करना डॉक्टरों के लिए एक मुश्किल चुनौती है, क्योंकि अब हम जानते हैं कि डायबिटीज टाइप- 2 या डायबिटीज टाइप- 1 किसी भी उम्र में हो सकता है. यह काम भारत में बहेद कठिन हो जाता है, क्योंकि टाइप 2 मधुमेह के ज्यादातर मामले कम बीएमआई वाले लोगों में ही होते हैं. ' रिसर्च के अनुसार यही वजह है कि गलत तरीके से डायबिटीज का इलाज करने से डायबिटिक केटोएसिडोसिस होने की संभावना पैदा हो सकती हैं. जैसे-जैसे डायबिटीज जोखिम प्रकार विपरीत हो गए हैं, वैसे-वैसे डायबिटीज का सही तरह से इलाज कर पाना डॉक्टरों के लिए बेहद कठिन हो गया है. इसी वजह से डायबिटीज की स्थिति और बदतर और खतरा अधिक बढ़ जाता है.