मोटापे से पीड़ित बच्चों में कोरोनावायरस के गंभीर लक्षण पनपने का खतरा ज्यादा है. एक हालिया शोध में यह दावा किया गया है. न्यूयॉर्क सिटी अस्पताल में 50 कोविड-19 से पीड़ित बच्चों पर अध्ययन के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. इन बच्चों में से 11 बच्चे मोटापे से ग्रस्त थे.
इनमें से छह बच्चों को उपचार के दौरान वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ी. न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविंग मेडिकल सेंटर के शोधकर्ता चिकित्सक फिलिप जाचारिए ने कहा, कोरोनावायरस से पीड़ित वयस्कों के लिए मोटापे को जोखिम का कारण माना गया है. इस शोध को पत्रिका जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित किया गया है.
शोधकर्ता चिकित्सक चार्ल्स क्लीयेन ने कहा, जो बच्चे गंभीर रूप से बीमार थे उनकी बीएमआई बहुत ज्यादा ज्यादा थी. यह बिल्कुल वयस्क मरीजों की तरह ही था जो मोटापे से ग्रस्त होने के कारण कोरोनावायरस से ज्यादा बीमार थे. इन 50 बच्चों में से नौ बच्चे गंभीर रूप से बीमार थे. इन बच्चों को मार्च के अंत व अप्रैल के पहले हफ्ते में कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया था. शोध में पाया गया कि बड़े बच्चे जिनकी औसत आयु 14 वर्ष थी उनमें कोविड-19 के गंभीर लक्षण देखे गए.
नवजातों में गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिले. गंभीर मामलों में खांसी, सांस लेने में परेशानी, बुखार जैसे लक्षण थे व साथ ही 44 प्रतिशत बच्चों में जठरांत्र से संबंधित जटिलताएं भी पाई गईं. हालांकि शोध में यह भी देखा गया कि बच्चों में गंभीर लक्षण पैदा होने का जोखिम बहुत ज्यादा कम था. शोधकर्ताओं ने बोला कि शोध में बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा कम थी व इसलिए इसपर व शोध करने की आवश्यकता है.
बच्चों में कम नजर आते हैं लक्षण विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में कोविड-19 संक्रमण के ज्यादातर मामलों में या तो बहुत कम लक्षण थे या फिर वे लक्षण रहित थे. बाल विशेषज्ञ चिकित्सक माइकल ग्रोसो ने कहा, कोविड-19 से नवजातों व बच्चों के मरने का खतरा बहुत ज्यादा कम है. हालांकि, बच्चों में मोटापे बीमारी के गंभीर लक्षणों का कारण बन सकता है व उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ सकती है.