हाल ही में हुए एक शोध में शोधकतार्ओं ने पाया कि गभार्वस्था के शुरुआती चरण में धूम्रपान करने से शिशुओं की हड्डियों में फै्रक्चर होने का खतरा कुछ हद तक बढ़ जाता है.
ऐसे कई सारे शोध हुए हैं, जिनमें पाया गया है कि गभार्वस्था के दौरान धूम्रपान व शिशुओं की वृद्धि में आने वाली समस्याओं का एक सीधा संबंध है, लेकिन गभार्वस्था के दौरान धूम्रपान का असर शिशुओं की हड्डियों के स्वास्थ्य व ज़िंदगी के विभिन्न चरणों में इनके फ्रैक्चर होने के खतरे के बारे में मिले साक्ष्य दुर्लभ व भिन्न है.
स्वीडन के ऑरेब्रो विश्वविद्यालय के शोधकतार्ओं ने कहा, "अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष से यह इशारा मिलता है कि गभार्वस्था के दौरान मां के धूम्रपान का संबंध एक वर्ष की आयु से पहले के दौर में हड्डियों के फ्रैक्चर होने से है."उन्होंने आगे कहा, "गभार्वस्था के दौरान सिगरेट के धुएं के सम्पर्क में आना वैसे तो बाल्यावस्था या युवावस्था के पहले चरण में फ्रैक्चर के जोखिम पर एक लंबे समय तक चलने वाला जैविक असर नहीं लगता है." शोध का निष्कर्ष पत्रिका बीएमजे में प्रकाशित हुआ है. यह शोध वर्ष 1983 से लेकर 2000 तक के बीच स्वीडन में पैदा हुए 16 लाख की आबादी पर आधारित था. माताओं में से 377,367 ने अपनी गभार्वस्था के प्रारंभिक चरणों में धूम्रपान किया था, जबकि 1,3०2,94० स्त्रियों ने ऐसा नहीं किया था. जन्म से लेकर 21 साल की औसत आयु (अधिकतम 32 साल) तक इसके नतीजे को देखा गया.
शोध निष्कर्ष में बोला गया है कि इस अवधि के दौरान 377,97० फ्रैक्चर की पहचान (हर वर्ष 1,००० लोगों में 11.8 की दर से) की गई. शोधकतार्ओं ने भाई-बहनों के बीच तुलना कर इसका भी विश्लेषण किया, ताकि इनसे प्राप्त अपरिमेय पारिवारिक कारकों (आनुवांशिक व पयार्वरणीय) के अनचाहे प्रभावों को नियंत्रित किया जा सके. मोटे तौर पर, गभार्वस्था के दौरान मां के धूम्रपान करने का संबंध बच्चों में हड्डियों के फ्रैक्चर होने से हैं, जिसकी आसार सबसे ज्यादा एक वर्ष की आयु के पहले तक के दौर में होती है, लेकिन इसका असर बचपन से लेकर पांच वर्ष की आयु और 32 वर्ष तक की आयु तक रहता है.