मोतिहारी। कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम में लगे स्वास्थ्य विभाग के सामने एईएस के रूप में एक और चुनौती सामने आ गई है। अब तक जिले में एईएस (चमकी बुखार) के चार मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से तीन का इलाज एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर में हुआ है। तीन में से दो को डिस्चार्ज कर दिया गया है। एक का इलाज अभी जारी है। वहीं, मोतिहारी सदर अस्पताल के पीकू वार्ड में गुरुवार को सुगौली से रेफर एक मरीज को भर्ती किया गया। इसकी पुष्टि करते हुए सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि बीमार बच्चे की तबियत में सुधार हो रहा है। पीकू वार्ड में एईएस को लेकर काफी सतर्कता बरती जा रही है। वहां पर चिकित्सक के साथ पारा मेडिकल स्टाफ व नर्स की तैनाती की गई है। वहीं, वैक्टर बौर्न डिजिज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर में जिनका इलाज हुआ है उनमें चकिया, छौड़ादानों व चिरैया का एक-एक बच्चा शामिल है। यहां बता दें कि गत वर्ष पूर्वी चंपारण में एईएस के कुल 144 मामले निबंधित हुए थे। वहीं, 33 बच्चों की एईएस से मौत भी हो गई थी। मुजफ्फरपुर से लेकर पूर्वी चंपारण में एईएस ने जमकर कोहराम मचाया था। एईएस को लेकर दोनों जिलों का काफी संवदेनशील माना जाता है। जबकि जेई के मामले में गया का ग्राफ सबसे उपर है। हालांकि पिछले वर्ष पूर्वी चंपारण के मेहसी प्रखंड में भी जेई का एक मामला सामने आया था। माना जाता है कि मार्च से लेकर जून अर्थात बरसात शुरू होने तक एईएस का खतरा बरकरार रहता है। वहीं, बरसात शुरू होते ही जेई सर उठाने लगता है। इसका खतरा अक्टूबर-नवंबर तक बना रहता है। एईएस की रोकथाम को लेकर जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने निर्देश पर जिले में काफी सतर्कता व तत्परता बरती जा रही है। रोकथाम के लिए सभी प्रखंडों में लोगों को जागरूक करने काम भी चल रहा है।
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Posted By: Jagran
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