भारत करेगा अमेरिका की मदद, कोरोना से लड़ने की दवाई भेजने का लिया गया फैसला

कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित अमेरिका की मदद करने का भारत सरकार ने फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने तय किया है कि देश में मलेरिया और अर्थराइटिस में इस्तेमाल होने वाले दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydrochloquine) को अमेरिका के लिये उपलब्ध करवाई जाएगी. सरकार ने इसके लिए छह अप्रैल को डीजीएफटी के नियमों में एक बार फिर बदलाव किया है.

नए नियमों के मुताबिक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल को लाईसेंस केटेगरी में फिर से रखा गया है ताकि भारत अपने पड़ोसी मुल्कों और अमेरिका सहित कोरोना से प्रभावित कुछ देशों को इसे मदद के लिए भेज सके. इससे पहले 25 मार्च से 4 अप्रैल तक विदेश मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर डीजीएफटी द्वारा विशेष निर्यात को मंजूरी दी जाती थी लेकिन 4 अप्रैल को ही इसके निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया था. संयोगवश उसी शाम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने फोन करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस दवाई को भेजने के लिये मदद मांगी थी जिसके बाद सरकार ने ये नया फैसला लिया.

- ANI_HindiNews (@AHindinews) April 7, 2020
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घरेलू जरूरतों के लिए पर्याप्त है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन असरकारक साबित हुई है. चार अप्रैल को जब प्रेसिडेंट ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की मांग की थी तो पीएम मोदी ने साफ कर दिया था कि घरेलू जरूरत को देखते हुए सरकार कोई फैसला लेगी. देश में उपलब्ध स्टॉक और घरेलू जरूरत के आधार पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की उपलब्धता का जायजा लिया गया. देश में सिप्ला, इनटास, कैडिला,आइपीसीए जैसी बड़ी दवाई कंपनियां इस दवाई को बनाती है और विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान के अनुसार हमारे पास इसके पर्याप्त स्टॉक है.
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियों को एक रोगनिरोधी के रूप में जाना जाता है. इसका उपयोग COVID-19 के मरीजों के संपर्क में आ रहे डॉक्टर्स, नर्सों, पैरामेडिक्स के लिए रोगनिरोधी के रूप में और रोगियों के इलाज के लिए किया जा सकता है.
ट्रंप के सुर बदलते रहे लेकिन भारत ने बिना दवाब के लिया फैसला
पीएम मोदी से फोन पर बातचीत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने ही अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये जानकारी दी थी कि उन्होंने पीएम मोदी से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई की मांग की है और भारत अपने एक बिलियन से अधिक आबादी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इस बीच भारत सरकार ने अपने नियमो में बदलाव किया लेकिन ट्रंप को इसकी जानकारी मिल पाती इससे पहले ही वो अपना धैर्य खोते दिखे और कहा कि अगर भारत, अमेरिका की मदद करता है तो वो इसके लिए शुक्रगुजार होंगे लेकिन अगर भारत, अमेरिका की मदद नहीं करता है तो भविष्य में अमेरिका से कोई उम्मीद ना रखें.
कोरोना के खिलाफ दुनिया की एकजुटता के मद्देनजर मोदी सरकार ने लिया फैसला
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान के मुताबिक कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की शुरुआत से ही ये रणनीति रही है कि सभी देशों को मिलकर इसका सामना करना पड़ेगा. भारत ने चीन के वुहान शहर या ईरान में राहत ऑपरेशन के दौरान भी अपने नागरिकों के साथ साथ दूसरे देश के नागरिकों को भी रेस्क्यू कराया था. पीएम ने इस वायरस से लड़ने के लिए सार्क देशों की बैठक का नेतृत्व भी किया था और जी-20 देशों के स्पेशल सम्मेलन के लिए पहल की थी. ऐसे में जब भारत सरकार को पड़ोसी मुल्कों और कोरोना प्रभावित देशों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मुहैया कराने को सवाल आया तो भारत ने फिर आगे बढ़कर इसे पूरा करने का फैसला किया.
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