लॉकडाउन पीरियड खत्म होने के बाद भी सिनेमा हॉल वालों के लिए शुभ संकेत सुनने को नहीं मिल रहे हैं। इसके कई कारण हैं। पहला तो सोशल डिस्टेंसिंग, जिसकी वजह से सिनेमा देखने की हैबिट बदलने वाली है। हम लोग डरे हुए हैं। यह सब लोग जानते हैं कि सिनेमा हॉल में एक साथ ढेर सारे लोग सिनेमा देखते हैं तो यहां सोशल डिस्टेंसिंग बनाना एक सबसे बड़ी समस्या रहेगी। दूसरी बात, जहां तक रिलीज का सवाल है तो मुझे नहीं लगता कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद कोई भी बड़ी फिल्म रिलीज होने वाली है। क्योंकि ये फिल्में ना सिर्फ हिंदुस्तान, बल्कि विदेशों में भी बड़े पैमाने पर रिलीज होती हैं और इस समय यूएसए, यूके, साउथ ईस्ट एशिया, ऑस्ट्रेलिया सभी जगह अफरा-तफरी मची हुई है। ये चारों जगह हिंदी फिल्मों के लिए बड़ा मार्केट हैं। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड तो मई एंड तक बंद कर रखा है। ऐसे में सिनेमाघरों में जाकर सिनेमा देखने की आदत को फिर से वापस पटरी पर लाने में वक्त लगेगा। इसके चलते बहुत नुकसान होगा। इतना ज्यादा नुकसान होने वाला है कि उसका आंकड़ा भी दे पाना इस वक्त बहुत मुश्किल है। चाहे 'सूर्यवंशी' हो या '83'। सभी ने अपनी फिल्में पोस्टपोन कर दी हैं और अगली डेट के बारे में किसी को कोई अंदाजा नहीं है। अब फिल्में सिर्फ चुने हुए शहरों के लिए तो नहीं बनती हैं। विदेशी लोगों के लिए भी फिल्म बना रहे हैं और आजकल एक साथ वर्ल्ड वाइड फिल्म रिलीज होती हैं। इन सबके बीच यह सुनने को जरूर मिल रहा है कि थिएटर ओनर्स लॉकडाउन खत्म होने के बाद 'बागी 3', 'मरजावां' और 'अंग्रेजी मीडियम' जैसी फिल्मों को रिलीज करने की तैयारियां कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी सवाल यह उठता है कि क्या दर्शक तुरंत थिएटर आने को तैयार हैं? यह एक बहुत बड़ा सवाल है और यह बहुत बड़ी समस्या है। री-रिलीज करने के पीछे तर्क सुनने को मिल रहा था कि ऑडियंस के मूड का पता लगेगा और टिकट भी सब्सिडाइज्ड रेट पर होंगे शायद। सिनेमाघर तो फिल्में लगाना चाहते हैं, लेकिन क्या दर्शक सिनेमाघर आएंगे। ऐसी कोई केस स्टडी भी हमारे पास नहीं है, जहां से यह पता लग सके कि कोरोना वायरस कम होने के बाद सिनेमाघरों में दर्शकों की वापसी होगी। 55 साल के जीवन में मैं पहली बार देख रहा हूं कि एक तरह का ग्लोबल शटडाउन है। हॉलीवुड और बॉलीवुड दाेनों का ही बॉक्स ऑफिस कलेक्शन जीरो है। बॉलीवुड में तो अप्रैल से दूसरे क्वार्टर का आगाज हो रहा है, लेकिन अभी तक कहीं से भी ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि नई फिल्में रिलीज होंगी भी या नहीं। हम ऐसा कतई नहीं कह सकते कि हमने आज सिनेमाघर खोल दिया तो कल पूरी दुनिया सिनेमा देखने के लिए टूट पड़ेगी। इस हालत में यह भी सुनने को मिल रहा है कि छोटे बजट की फिल्मों के लिए संभावना बने, शायद ऐसा संभव है लेकिन सवाल यह उठता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म भी उन्हीं फिल्मों को तवज्जो देते हैं जिनकी बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ज्यादा होती है। कलेक्शन पर तब उसके हिसाब से प्राइस ऊपर नीचे होती है। तो सवाल वही है कि दर्शक तैयार हैं या नहीं? हमें इस सवाल का जवाब ढूंढना होगा, पता करना होगा और साथ ही यह भी जानना होगा कि अगर वह सिनेमाघरों तक जाएंगे तो कब? हाल के दिनों में मेरी ढेर सारे प्रोड्यूसर्स और सिनेमा घर वाले से बात हुई है और किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि आखिरकार लॉकडाउन के तुरंत बाद क्या होगा। हर कोई बस इतना ही कह रहा है कि वेट एंड वॉच। कोराेना वायरस के बाद शायद इंडस्ट्री में हाथ मिलाने और गले लगाने की परंपरा भी बदल जाए।