COVID-19 महामारी पर रोक लगाने के लिए चल रहे प्रयासों में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक पूरे शरीर के साइज़ के बराबर सैनिटाइजेशन एन्क्लोजर और फेस प्रोटेक्शन मास्क बनाया है. फेस प्रोटेक्शन मास्क की आपूर्ति अब थोक में अस्पतालों में की जा रही है.
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अहमदनगर में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की लैब ने पूरे शरीर को कवर कर सकने वाला डिस इन्फेक्शन चेंबर डिजाइन किया है, जिसे पर्सनल सेनिटाइजेशन एन्क्लोजर कहा जा सकता है. DRDO ने कहा, "यह एन्क्लोजर एक बार में एक व्यक्ति का सेनिटाइजेशन करने के लिए बनाया गया है. यह एक पोर्टेबल सिस्टम है जो सैनिटाइजर और सोप मशीन से लैस है."
इसमें घुसने पर एक पैडल का इस्तेमाल करते हुए पैर का सेनिटाइजेशन शुरू किया जाता है. फिर चैंबर में एंटर करने पर, बिजली से चलने वाले पंप स्टरलाइजेशन करने के लिए हाइपो सोडियम क्लोराइड की एक कीटाणुनाशक धुंध बनाता है. यह धुंध स्प्रे 25 सेकंड के ऑपरेशन के लिए कैलिब्रेट किया जाता है और फिर खुद ऑपरेशन पूरा होने का सिग्नल देता है.
इस प्रक्रिया के दौरान, सेनिटाइजेशन से गुजरने वाले व्यक्ति को चैंबर के अंदर रहते हुए अपनी आंखें बंद रखनी जरूरी होती है. DRDO ने कहा, "इस प्रणाली का निर्माण गाजियाबाद में डास हिताची लिमिटेड की मदद से चार दिनों में किया गया है. इस प्रणाली का उपयोग लोगों को सेनिटाइज करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि अस्पतालों, मॉल, ऑफिस और अन्य महत्वपूर्ण जगहों के प्रवेश और निकास द्वार पर."
इसके अलावा, हैदराबाद के रिसर्च सेंटर इमरत और चंडीगढ़ के टर्मिनल बॉलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) ने COVID -19 रोगियों की देखरेख में लगे मेडिकल वर्कर्स के लिए फेस प्रोटेक्शन मास्क विकसित किया है. इसका वजन कम होने के कारण इसे ज्यादा देर तक आसानी से पहना जा सकता है.
इसका डिजाइन चेहरे की सुरक्षा के लिए आमतौर पर उपलब्ध आकार के ओवर-हेड प्रोजेक्शन (आएचपी) फिल्म का उपयोग करता है. DRDO ने कहा, "होल्डिंग फ्रेम का इस्तेमाल फ्यूजन डिपोजिट मॉडलिंग (3 डी प्रिंटिंग) के जरिए किया जाता है. फ्रेम की 3 डी प्रिंटिंग के लिए पॉलीलैक्टिक एसिड फिलामेंट का इस्तेमाल किया जाता है."
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-IANS