किशनगंज। विद्यार्थियों के चहुंमुखी विकास के लिए किताबी शिक्षा के साथ सांस्कृतिक ज्ञान भी जरुरी है। इसके लिए विद्यार्थियों को विशेष रुप से प्रशिक्षण दिए जाते हैं। जिससे कि सांस्कृतिक कार्यशाला में छात्र-छात्राएं अपनी प्रतिभा को निखारने में कामयाब हो सके। यह बातें प्राचार्य शंभु शरण तिवारी ने मोतीबग स्थित सरस्वती विद्या मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन करने के बाद कहीं।
उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई। इसके बाद छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए गीत व नृत्य की कार्यशाला में मौजूद लोगों ने जमकर सराहना किए। कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों ने अनेक में एकता की पहचान, भारत की शान, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, जल जीवन हरियाली, नशा मुक्ति और दहेज प्रथा एवं बाल विवाह उन्मूलन सहित कई झाकियां प्रस्तुत किए। यह कार्यशाला भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से मान्यता प्राप्त विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान कुरुक्षेत्र के मार्गदर्शन में किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों में अपने संस्कृति और संस्कार से परिचित होते हुए उसे मन मस्तिष्क में विराजमान रखना है। इस कार्यशाला में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार के साथ प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे। इस दौरान मुख्य रुप से प्रो. नंद किशोर पोद्दार, हरिश चंद्र मिश्रा, नथुन प्रसाद, कृष्ण कुमार सिंह, देवदास, अंजु कुमारी और शैलेन्द्र कुमार सहित कई छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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Posted By: Jagran
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