बगहा। मदनपुर-पनियहवा के रास्ते अगर आपको उत्तर प्रदेश जाना हो तो आप पैदल जाना ही बेहतर होगा। लेकिन, वाहन से इस रास्ते से कही भी जाना उचित नहीं है। हालांकि जब गंडक नदी पर पनियहवा पुल का उद्घाटन करने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार आए थे तो इस समय सड़क की महत्ता के बारे में लोगों को बताए थे। लोगों को क्षेत्र के विकास व आवागमन के लिए उम्मीद की एक आशा जगी थी। लेकिन, पदाधिकारियों की अकर्मण्यता व विभागीय पचड़ों के फेरा में इस रोड का निर्माण अधर में लटका हुआ है। करीब दस वर्षों से सिर्फ आश्वासन ही जनता को दिया जाता है।
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पुल के उद्धाटनकर्ता मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री भी कई बार इस क्षेत्र में दौरे पर आते हैं लेकिन, इस विषय पर एक बार भी चर्चा नहीं करते। क्षेत्र का सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य? एक बार उनके विमान में खराबी हो जाने के कारण वाल्मीकिनगर से पटना तक सड़क मार्ग से ही गुजरना पड़ा था। उस वक्त उन्होंने रामपुर से मदनपुर तक व मदनपुर से दिल्ली कैंप तक सड़क बनाने की घोषणा हुई थी। आनन फानन में कई वरीय पदाधिकारियों का दौरा हुआ। उस समय भी कई कथित विकास पुरुष अपना चेहरा चमकाने आगे आए थे।
मदनपुर निवासी रामेश्वर उरांव, नवल कुमार, बगहा के विजय चौधरी बाबूराम चौधरी आदि ने कहा कि अक्सर सुनने में आता है कि दोनों सड़कों का टेंडर हो गया। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा। लोगों में हर्ष की लहर दौड़ जाती है। फिर चार माह सुनने में आता है कि टेंडर कैंसिल हो गया। अब दोबारा टेंडर होगा। इसी पचड़े में कई साल से क्षेत्र के लोगों को डालकर मूर्ख बनाया जा रहा है।
वहीं स्थिति बगहा नगर में स्थित रेलवे ढाला की भी है। जिसका एक वर्ष पूर्व तत्कालीन सांसद सतीश चंद दूबे के द्वारा परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा शिलान्यास करा दिया गया। लेकिन, पुल के निर्माण या अन्य किसी प्रकार की कोई सुगबुगाहट नहीं है।
Posted By: Jagran
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