पूर्णिया। पौष पूर्णिमा के अवसर पर प्रखंड की कोहवारा पंचायत की रामनगर कारी कोसी किनारे स्थित प्राचीन चितेश्वर शिव मंदिर परिसर में दो दिवसीय मेला और तीन दिवसीय अखंड संकीर्तन का आयोजन किया जा रहा है। मेले का आयोजन मंदिर निर्माण काल से ही हो रहा है।
गाव के बुजुर्ग बताते हैं कि उस समय इस क्षेत्र में कारी कोसी का प्रकोप इतना था कि लोग त्राहिमाम थे। इससे बचने के लिए तत्कालीन स्थानीय राजा ने चितेश्वर शिव मंदिर का निर्माण करवाया और पूजा-अर्चना की। इसके बाद क्षेत्र में कारी कोसी का प्रकोप कम हुआ। तब से ही इस मंदिर के प्रति लोगों की अथाह आस्था है। इस क्षेत्र के लोग पौष पूर्णिमा के अवसर पर कारी कोसी में स्नान कर मंदिर में जलाभिषेक कर मंदिर परिसर में लगे। यहां मेले में लोग नारंगी, बेर और तेजपत्ता की खरीददारी करते हैं।
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आस्था ने बचाया था अस्तित्व, बदली थी नदी की धारा
1980 में कारी कोसी की धारा मंदिर को क्षतिग्रस्त करने लगी और मंदिर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा। कहा जाता है कि मंदिर में पूजा-अर्चना कर मंदिर को बचाने की मन्नत मांगी। कुछ ही दिनों के बाद नदी की धारा मंदिर से हटकर पूर्व की ओर बहने लगी। इसके बाद तो लोगों की आस्था मंदिर पर और बढ़ गई। मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए रामनगर गाव के युवक संघ ने बीड़ा उठाया और चितेश्वर शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कर बगल में ही एक और मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर की देखरेख के लिए एक कमेटी का गठन किया गया और मंदिर परिसर में कई फलदार एवं छायादार पौधे भी लगाए गए।
Posted By: Jagran
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