पूर्णिया। जिले के नौ लाख किशोर और किशोरियों तक विफ्स कार्यक्रम (सप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपुरण) के अंतर्गत पहुंचने का प्रयास चल रहा है। इसका मकसद बढ़ती उम्र में आयरन की कमी से होने वाली समस्या पर रोकथाम है।
राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के मुताबिक 60 फीसद बच्चे जिले में एनीमिया के शिकार हैं। राज्य स्वास्थ्य समिति की पहल पर प्रत्येक जिले में विफ्स कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों में इस कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य समिति एनीमिया के कुप्रभाव से नयी पीढ़ी को बचाने के लिए 10 से 19 वर्ष तक के स्कूल जाने वाले किशोरों व किशोरियों तक पहुंच रही है। साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपुरण कार्यक्रम के अंतर्गत आईएफए(आयरन फोलिक एसिड)टेबलेट का वितरण किया जा रहा है। जो स्कूल और कॉलेज नहीं जा रहे हैं उन्हे आंगनबाड़ी केंद्रों से टेबलेट दी जा रही है।
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-: क्या है हानि
एनीमिया से पीड़ित होने से
किशोरावस्था में बच्चों के पीड़ित होने से कई तरह की जटिलता हो सकती है। इसके रोकथाम के लिए अलग से खान-पान के साथ टेबलेट का इस्तेमाल कर इस कमी को पूरा किया जा सकता है। इसकी कमी से किशोरावस्था में समुचित विकास नहीं हो पाता है। मानसिक और शारीरिक दोनो तरह का विकास प्रभावित होता है। संक्रमण और विद्यालय छोड़ने की दर को बढ़ाता है। लड़कियों की शादी के बाद उसका कुप्रभाव होने वाले बच्चे पर भी पड़ता है।
-: आयरन की कमी है बड़ी समस्या
इसकी कमी से विकास में बाधा के साथ सीखने की क्षमता भी प्रभावित होती है। दैनिक कार्यो में एकाग्रता कम होना, संक्रमण का खतरा बढ़ जाना, शारीरिक फिटनेस में कमी, कार्य उत्पादकता में कमी आती है। इससे विद्यालय छोड़ने की दर बढ़ जाती है।
-: बुधवार को दी जाती है दवा
सभी स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में इसके लिए आयरन की टेबलेट और फोलिक एसिड टेबलेट बुधवार को दी जाती है। (आईईएफए (100मिग्रा आयरन और 0.5 मिलीग्राम फोलिक एसिड) दी जाती है।
-: कमी से अल्पकालीन दुष्प्रभाव
जल्दी थकावट आना, घबराहट होना और चक्कर आना, शिक्षा में कम प्रगति, सांस फूलना, ध्यान केंद्रीत न होना, कार्यक्षमता में कमी शामिल हैं।
-: दीर्घकालीन दुष्प्रभाव
- उम्र के अनुपात में विकास नहीं होना।
- गर्भावस्था पर बुरा प्रभाव मसलन गर्भपात आदि, रोग-प्रतिरोधक क्षमता में कमी शामिल है।
-: क्या हैं लक्षण
-: आंख, हथेली, नाखुनों, जीभ का सफेद होना या लालिमा की कमी होना शामिल है।
कोट के लिए -
60 फीसद बच्चे एनीमिया के शिकार हैं। इसको दूर करने के लिए किशोरावस्था उचित समय होता है। इसके लिए विफ्स कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
डॉ. मधुसूदन प्रसाद, सिविल सर्जन
Posted By: Jagran
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