संवाद सहयोगी, छौड़ाही (बेगूसराय)। जिन बेटों को जिगर का टुकड़ा समझकर मां ने प्यार से पाला, उन्हीं बेटों ने बुढ़ापे में अपनी मां को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया। दो बेटों को पढ़ा-लिखाकर पैर पर खड़ा करने वाली दारोगा की मां आज भीख मांगने को मजबूर है। इस कड़ाके की सर्दी में वृद्धा को ठुठरते देख हर किसी के आंखों में आंसू हैं।
'बाबू, बड़ा बेटा दारोगा है और छोटा बेटा बाहर अच्छा कमा लेता है। यहां गांव में आलीशान घर भी बना रखा है। दोनों बेटे अपने-अपने घरों में ताला बंद कर कई महीने से गांव नहीं आ रहे हैं। खोना-खुराकी भी नहीं देते हैं, इसीलिए गांव में भीख मांग कर भोजन कर रही हूं।' यह कहती हुए छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र की ऐजनी पंचायत के वार्ड नंबर चार निवासी स्व. राजबल्लभ सिंह की 85 साल की पत्नी ज्ञानवती देवी फफक कर रो पड़ीं।
वृद्धा का कोई देखरेख करने वाला नहीं है। ऐसे में कई महीने से गांव वाले इनके खाना और कपड़ा आदि की व्यवस्था कर रहे हैं। आखिर गांव वाले भी कितने दिन भरण पोषण करेंगे। भीषण शीतलहर में वृद्धा को थरथराते देख गांव वाले प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
इस संबंध में ऐजनी पंचायत के मुखिया पंकज कुमार दास ने छौड़ाही सीओ को दिए आवेदन में कहा है कि वृद्धा ज्ञानवती देवी के बड़े पुत्र हीरालाल सिंह बिहार पुलिस में दारोगा के पद पर कार्यरत हैं। वहीं छोटे पुत्र मनोज कुमार सिंह पंजाब में प्राइवेट जॉब करते हैं। दोनों पुत्र अपने-अपने घरों में ताला लगाकर चले गए लेकिन अपने वृद्ध माता के रहने और भरण-पोषण की कोई व्यवस्था नहीं किया है।
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मुखिया ने कहा है कि ग्रामीण महिला का भरण-पोषण इतने दिनों से कर रहे थे। रविवार को वृद्धा की हालत गंभीर थी। ग्रामीणों ने दोनों बेटों को फोन कर मां की हालत बताई और अपने वृद्ध माता के भरण पोषण की व्यवस्था करने को कहा। गांव वालों ने बताया कि दोनों पुत्रों ने कुछ भी करने से इनकार करते हुए फोन काट दिया। मुखिया ने सीओ से वृद्ध महिला के भरण-पोषण की व्यवस्था करवा उनकी जान बचाने की मांग की है।
इस संबंध में सीओ विजय प्रकाश का कहना है कि आवेदन मिला है। राजस्व कर्मचारी को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। रिपोर्ट मिलने पर विधि सम्मत व्यवस्था की जाएगी।