खरीफ की खेती के समय सूखी नहर, किसानों के चेहरे मुरझाए

दरभंगा। बरसात में डूबने और तैरने वाले दरभंगा जिले में इस बार भी धान की खेती के ऐन वक्त पर नहरों में पानी नहीं है। कहने को तो जिले में लगभग 20 किलोमीटर में फैली कोसी पश्चिमी नहर से 23 छोटी नहरें निकली हैं, लेकिन धान की खेती करने वाले किसानों के लिए ये सूनी मांग की तरह दिखती हैं। इन नहरों के वजूद पर ही सवालिया निशान लगा है। किसानों के मुताबिक इस समय किसी भी नहर में पानी नहीं है। जिन नहरों में उड़ाही कर गाद निकालने का काम चल रहा है, उसके समय पर खरा उतरने की उम्मीद कम दिख रही है। वैसे जो टूट गई हैं, उनमें जमीन पर मरम्मत का काम भी होता नहीं दिख रहा है। बिचड़ा गिराने का वक्त है, सो किसानों की बेचैनी बढ़ी हुई है। फिर भी नहरें सूखी पड़ी हैं।


कोसी पश्चिमी नहर के कार्यपालक अभियंता बताते हैं कि 19.93 किलोमीटर में फैली नहर के अलावा केवटी डिविजन की नहरें भी हैं, जो केवटी से होकर दरभंगा सदर में खत्म हो जाती हैं। इन नहरों के भरोसे जिले में 1550 हेक्टयर की सिचाई रहती है। जिला कृषि पदाधिकारी की रिपोर्ट मुताबिक, प्रत्येक वर्ष 85 से 89 हजार हेक्टयर में धान का आच्छादन किया जाता हैं। वहीं जानकार बताते हैं कि अधिकतर नहरों में जहां पानी नहीं है, वहीं बड़े पैमाने पर गाद जमा है। हालांकि इसे निकालने की प्रक्रिया चल रही है। किसान कहते हैं कि अगर यही काम कुछ पहले हो गया होता, धान की अच्छी फसल की उम्मीद बढ़ जाती। बता दें कि जिले का आधा से अधिक हिस्सा बाढ़ वाला है। वहां धान की खेती के लिए बाढ़ प्रबंधन अनिवार्य होता है। इस दिशा में जमीन पर अभी तक कहीं कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा। बोले किसान :
नहरों का हाल दुरुस्त रहे और हर खेत तक सिचाई का पानी पहुंचा दिया जाए तो क्षेत्र में निश्चित रूप से कृषि क्रांति आ जाएगी। जहां किसानों की आमदनी बढ़ेगी, वहीं विकास को भी नई गति मिलेगी।
- दयानंद मिश्र, किसान
नहरों के उड़ाहीकरण के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया जा रहा है। जून में मानसून शुरू हो जाता है। विभाग मई अंत से नहर के मरम्मत का कार्य शुरू करता है। किसान को कोई सिचाई का लाभ नही मिलता है।
- मनोज कुमार सिंह, किसान सह उप प्रमुख बहादुरपुर

अन्य समाचार