जागरण संवाददाता, सुपौल : मक्का और मूंग की फसल किसानों के खेतों में लगी हुई है लेकिन मौसम का मिजाज इन फसलों के अनुकूल नहीं चल रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार चार दिनों तक बारिश और हवा की संभावना है। बारिश से जहां मूंग की फसल को नुकसान होगा वहीं मक्का और सब्जी की खेती को तेज हवा नुकसान पहुंचा सकती है।
दलहन के रूप में मूंग जिले की मुख्य फसल है। हाल के वर्षों में इस फसल में कमी दर्ज की गई है। बीते दो वर्षों में इस फसल में पांच से छह हजार हेक्टेयर की कमी आई है। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन को मुख्य वजह बताया जा रहा है। जलवायु में हो रहे लगातार परिवर्तन के कारण मूंग की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है जिससे किसान इस खेती का रकबा लगातार कम करते जा रहे हैं। पहले 20 हजार हेक्टेयर में मूंग की खेती होती थी वहीं इस वर्ष 15 हजार हेक्टेयर में मूंग की खेती की गई है। इसपर मौसम का रुख इस फसल के अनुरूप नहीं है। कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर ने मूंग की फसल के संबंध में किसानों को आगाह किया है कि बारिश की संभावना को देखते हुए अगर फसल पक गई है तो इसे तोड़कर सुरक्षित स्थान पर रखें।
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इस इलाके में किसान रबी फसल की कटाई के उपरांत मूंग की फसल लगाते हैं। एक तो धान काटकर रबी फसल की बोआई होती है जिससे रबी फसल भी पछता हो जाती है और इस फसल को काटकर किसान मूंग की बोआई करते हैं जिससे यह भी पछता की श्रेणी में चली जाती है। इसलिए अधिकांश किसानों के मूंग के पौधे अभी छोटे हैं। मूंग की फसल अधिक पानी बर्दाश्त नहीं करती है। पानी लगने पर यह सूखने लगती है। किसान मु. जाकिर बताते हैं कि कोसी का इलाका होने के कारण यहां जल जमाव एक बड़ी समस्या है। खेतों में नमी अधिक रहने के कारण मूंग के पौधों का विकास नहीं हो पाता है। अगर इसपर बारिश हो जाए तो फसल पूर्ण रूप से बर्बाद होने की संभावना बनी रहती है। हो रही बारिश से मूंग की फसल पर आफत है। वहीं दूसरी ओर मक्के की फसल भी खेतों में लगी है। जमीन में पानी लगे रहने के बाद तेज हवा में मक्का के पौधे गिर जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र ने बारिश की संभावना को देखते हुए परिपक्व मक्के की बाली की कटाई में किसानों को सावधानी बरतने को कहा है।