जागरण संवाददाता, सुपौल : पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए एक बार फिर रसोई गैस में की गई मूल्य वृद्धि किसी आफत से कम नहीं है बल्कि सरकार की प्रदूषण मुक्त रसोई की मंशा को भी ग्रहण लगा दिया है। गैस के दामों में निरंतर हो रही वृद्धि के कारण गृहणियों को रसोई घर में गैस का उपयोग मुश्किल जान पड़ रहा है। एक बार फिर गैस के दामों में 50 रुपये की वृद्धि की गई है। इससे घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 1054.05 रुपये से बढ़ाकर 1104.05 रुपये हो गई है। जबकि जनवरी माह में यही सिलेंडर लोगों को 954 में मिलता था। जनवरी से अब तक एलपीजी के मूल्यों में चार बार वृद्धि हुई है। शनिवार को सबसे ज्यादा 50 रुपये की वृद्धि की गई। इस प्रकार निरंतर दामों में हो रही वृद्धि के कारण रसोई गैस आमलोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है। सामान्य वर्ग के लिए रसोई का यह खर्चा किसी बड़े मासिक निवेश की तरह हो गया है।आम परिवार में जिनकी आमदनी सीमित है उनके लिए घरेलू गैस चुनौती बन गई है। गैस का इस्तेमाल शहरी क्षेत्रों में लगभग प्रत्येक घर में होता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोगों के पास विकल्प उपलब्ध है वहां गैस का इस्तेमाल करने में लोगों की रुचि नहीं है। सरकार द्वारा भले ही उज्ज्वला योजना के माध्यम से घर-घर गैस पहुंचाने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि महंगाई के कारण उज्ज्वला योजना के तहत दिए गए गैस कनेक्शनों को रीफिल करवाने की व्यवस्था गरीब परिवारों के पास नहीं है। इस कारण ऐसे परिवार मजबूरन लकड़ी और अन्य ईंधन का उपयोग करने में भलाई समझ रहे हैं।
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नगर पंचायत पिपरा निवासी गृहणी कल्याणी झा बताती है कि हाल के दिनों में जिस तरह गैस के दामों में वृद्धि हुई है इससे उनलोगों का बजट ही बिगड़ चुका है। शहर में घर होने और इंधन की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं रहने के कारण मजबूरन उन लोगों को गैस का इस्तेमाल रसोई के काम में करना पड़ता है। लेकिन शनिवार को जिस तरह घरेलू सिलेंडर में 50 रुपये की वृद्धि की गई है वह आफत देने वाली है। समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें। सरकार को चाहिए कि आम लोगों के हित को देखते हुए इसके दामों में कमी लाए।
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नगर पंचायत पिपरा निवासी गृहणी ममता कुमारी ने कहा कि समझ में नहीं आता कि यह कौन सा दिन देखना पड़ रहा है। एक समय था जब 400 से 500 रुपये में सिलेंडर आ जाता था लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह गैस के दामों में वृद्धि की गई है इससे रसोई का बजट ही उलट-फेर हो गया है। अब तो उनलोगों को घर चलाना मुश्किल पड़ रहा है। अलग रसोई घर बनाने की सोच रहे हैं ताकि गैस के बदले लकड़ी पर ही खाना पका कर महंगाई से कुछ हद तक निपटा जा सके।
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सुनिए उज्ज्वला लाभुकों की व्यथा
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लगभग तीन साल पहले प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन मिला था। उस समय सिलेंडर भरवाने पर आधे रुपये खाते में वापस आ जाते थे। अब तो पूरे रुपये देने पड़ते हैं जो दे पाना मुश्किल है। मजबूरी में लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बनाना पड़ता है। ऐसे में हम जैसे गरीब परिवार गैस सिलेंडर भरवाने की सोच भी नहीं सकते।
प्रमिला देवी, कटैया, पिपरा
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जब प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला था उसके बाद केवल दो बार ही गैस सिलेंडर दोबारा भरवाए हैं। बाद में कीमत इतनी बढ़ गई कि गैस पर खाना बनाना संभव नहीं लग रहा है। मजदूर परिवार से हैं। मजदूरी करना और परिवार चलाना किस्मत में है। ऐसे में गैस पर खाना बनाना उन सबों के बूते से बाहर है।
गुलाब देवी, कटैया, पिपरा