कमर आलम, अररिया: रमजानुल मुबारक के तीसरे जुमा के मौके पर जिले के विभिन्न मस्जिदों में रोजेदार लोगों ने काफी संख्या में नमाज अदा की। शहर के जामा मस्जिद, रहमानी जामा मस्जिद, नूरी मस्जिद, मदनी मस्जिद, यतीम खाना मस्जिद, रहिका टोला मस्जिद, दारुल उलूम रहमानी मस्जिद जीरो माइल, गैयारी मस्जिद, ककोड़वा और खरिया बस्ती मस्जिद में लोगों ने रमजानुल मुबारक के तीसरे जुमे की नमाज अदा की। सभी मस्जिदों में नमाज के बाद आपसी प्रेम सछ्वाव, देश की एकता अखंडता और विश्व शांति की दुआ की गई। अररिया शहर के ऐतिहासिक जामा मस्जिद के इमाम व खतीब मौलाना आफताब आलम मुजाहिरी ने जुमा की तकरीर में कहा की रमजानुल मुबारक के कुल तीन असरा में आज दो असरा मुकम्मल हो गया।आज से तीसरा असरा जहन्नुम से निजात का आखिरी असरा शुरू हो गया है। पहला असरा रहमत दूसरा मगफेरत के बाद आज से शुरू इस असरा का अपना खास महत्व है। इसमें जहन्नुम के दरवाजे बंद कर शैतान को कैद कर दिया जाता है और जन्नत के सभी दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इसी आखिरी असरे की किसी ताक रातों 21,23,25,27 और 29 में कोई एक रात ऐसी है जिसे शब ए कदर कहा जाता है। इसी रात में कुरान पाक नाजिल हुआ। शब ए कदर की इबादत हजारों रात की इबादत से बेहतर और अफजल है। इस माहे मुबारक में अल्लाह का अपने रोजेदार बंदों पर रहमतों और बरकतों की बारिश होती है। मौलाना आफताब आलम ने हालते हाजरा पर तकरीर पेश करते हुए कहा की एक पूरा महीना इबादत का महीना है। कुरान के नूजुल के कारण इसे जश्न कुरान का महीना कहा जाता है। लेकिन अफसोस की बात है की हमलोगों ने इसे कपड़ा खरीदने और बाजार में घूमने का महीना बना दिया है। आज हमारी घर की मां बहने घर की जगह शहर और दुकान की रौनक और जीनत बनी हुई घूमती फिरती नजर आ रही है और मर्द लोग घर में बच्चा खेला रहे है। ये काफी अफसोसनाक मामला है। उन्होंने कहा आखिरी असरा जहन्नुम से निजात का असरा न रहकर कपड़ा खरीदने और बाजार घूमने का असरा बनकर रह गया है। इसपर सभी को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। मौलाना आफताब आलम ने एलान किया की इस वर्ष सदकतूल फितर की राशि प्रति व्यक्ति 35 रुपया निकालने को कहा। रमजान को लेकर शहर में सेवई, खजूर, इत्र, टोपी, किशमिश, छोहाड़ा ,नारियल की बिक्री काफी हो रही है।
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