जासं, मुंगेर: मुंगेर के लाल डा. नीतीश दुबे ने होमियोपैथ के क्षेत्र में देश-विदेश में कीर्तिमान बनाया है। मुंगेर जिले के कल्याणपुर गांव की गलियों से निकलकर डा. नीतीश चंद्र दुबे का परचम दुनिया में लहरा रहा है। एक साधारण परिवार व ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने अपनी पहचान बनाई। डा. नीतीश को लंदन में मेडिकल के छात्रों को होमियोपैथ के महत्व को बताने के लिए समय-समय पर आमंत्रित किया जाता है। वेस्ट लंदन विश्वविद्यालय, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में होमियोपैथ के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है। डा. नीतीश की क्लीनिक सूबे के कई शहरों के अलावा दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और गुजरात में है। वहां जाकर मरीजों को देखते हैं। उन्होंने दवा कंपनी भी खोली है। इस क्षेत्र में विद्वान, शोधकर्ता, लेखक और कुशल होमियोपैथी भी हैं। डा. नीतीश ने वर्ष 2000 में अपना पहला पूर्ण होमियोपैथिक क्लिनिक शुरू किया। धीरे-धीरे, उनकी सफल उपचार की वजह से देश के कई राज्यों से इलाज कराने लोग पहुंचते हैं। शुरुआती दिनों से जब होमियोपैथ में स्नातक की उपाधि प्राप्त तो वह पिता के साथ हरिओम सेवा आश्रम में काम करना शुरू कर दिया। मरीज की आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए मुफ्त में भी इलाज करते हैं। डा. दुबे ने इस पेशे को पूरी तरह से बदल दिया। कौशल भारत पुरस्कार से भी नवाजा गया। वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। 50 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों और सम्मेलनों में अपना व्याख्यान दिए है। ---------------------------------- स्वभाव ही इनकी पहचान होमियोपैथ चिकित्सक डा. नीतीश चंद्र दुबे का स्वभाव ही इनकी पहचान है। डा. दुबे गरीब और असहाय मरीजों की सेवा समर्पण भाव से करते हैं। जिस उम्र के मरीज उनके पास इलाज करने पहुंचते हैं उनकी सेवा भाई-बेटा और दोस्त बनकर करते हैं। डा. नीतीश ने कहा कि होमियोपैथ भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति का जर्मन वैज्ञानिक रूप है। होमियोपैथ को भारत का आध्यात्म और जर्मन का विज्ञान कहा जाता है। डा. दुबे ने कहा कि नियमित दिनचर्या को जीवनशैली बनाकर हम स्वस्थ्य और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।